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________________ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३५६ छोटी प्रतिमायें हैं । जिसमें पीछेकी तरफ चन्द्रपाट नगर में प्रतिष्ठा हुई लिखा है । पाषाण पुराना है विशेष पढ़ा नहीं गया उसी मुहल्ला में हमारे कुटुम्बी भादोलाल आदि रहते हैं । उसी घर से निकलकर हमारे बाबा मंगलचन्द भिन्ड गये और जो चोथी पट्टावली में वि० संवत् १९५२ दिया है कि केवल सिंहके साथ ११५२ की सालमें सब लंबेचू वंश इधर अन्तरवेदमें आ गया सो चन्द्रपाल पहिले आये होंगे । या चन्दपालका शासनकाल ११५२ ही होना चाहिये और उनके प्रधान मंत्री हारुलवंशज हाहुल राय राउत गोत्रीय थे । वे बादशाहसे ५६ छप्पन लाखका इटावा फुदरकोट आदि स्थान लिये। इसकी प्रमाणतामें इटावा गजटियरमें लिखा है कि कुदरकोटमें ताम्रपत्र ११५४ के सम्बत्का मिला जो चन्द्रदेवके शासन कालका था और १०५६ । १०५३ की प्रतिमायें कनकदेव कनकपाल (सोनपाल) के समयकी है । उस समय उनके हारुल राउत मन्त्री थे । इस प्रकार राजा चन्द्रपालका मिलान है । १०५३ की आदि प्रतिमाओं में चन्द्रपालका जिकर नहीं और प्रोजाबादके
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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