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________________ * श्री लॅबेचू समाजका इतिहास * ३५३ सिंहके हरराज, समरसिंह आदि १२ पुत्र हुए। जिनमेंसे हरराज बंवाबदे रहा और समरसिंह बंदीका स्वामी हुआ। इन हरराजसे हाड़ा चोहान कहलाये और अलाउद्दीनकी लड़ाईमें हरराज और समरसिंह मारे गये। तब बंदीकी गद्दी पर समरसिंहका पुत्र नापा ( नरपाल ) बैठे और बंबावदेव की गद्दीपर हरराजका पुत्र ( हालू ) राजा हमीर बैठे। नरपाल टोड़ेमें मारे गये। तब उनका पुत्र राजा हमीर बून्दीकी गद्दीपर बैठे (हालूने) जीरणके राजा जैतसिंह (पंवार पर मार ) का हिंगलाजगढ़ और भाणपुरकी एक चोहानो की शाखा हैं। उस हालूने राजा भरतके खेड़ी और जीरण किले ले लिये । जब हालू विवाह करने ग्वालियर राज्यमें शिवपुर (शोपुर) (सबलगढ़) गया। उस समय जैतसी और भरतने बंबावदेको घेर लिया । हालू विवाहकरके आनेसे सबको मार भगाया। उस समय जैतसिंह चित्तोड़के राणा हमीरसे फौज लेकर हालूपर चढ़ आया। तब हालूने राणाकी फौज को भी मार भगाया इत्यादि कथन जटाजूट है। यहां लिखनेका मतलब यह है कि हरराज मूलपुरुषसे हाड़ा चोहान कहलाये। इन हाड़ा चोहानोंने हाडावटी (हाड़ा
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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