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________________ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास २६५ (हरदा), वृन्दावती (बूंदी), इटावा, चन्दवार, जशवन्तनगर ( रायबद्धीय ), रायनगर, मैनपुरी, विलराव, करहल आदि में चोहानों का राज्य रहा है । करहल का पुरानो नाम दूसरा है । लाखा राणा के कई पुत्र हुये । चूडा (चंड ), राघवदेव, अज्जा, दूल्हा, डूंगर, गजसिंह, लणा, मोकल । लूंगा के वंशज लुणावत, मालपुर, कथोरा, खेड़ा आदि में रहे। पट्टावली में आया है लूंगा वास किया सो एक सोनगरे के तरफ नदी का भी नाम इससे पड़ा है लूंगा के नाम से । और परवार जाति परमार वंशके परिहारी प्रतिहारवंश या परमार वंश में से होनी चाहिये । चोहान इतिहास महाकाव्य, हम्मीर इतिहास महाकाव्य, शत्रुशल्य महाकाव्य, पृथ्वीराज राशो में बहुत इतिहास मिलेगा | रघुवंशी प्रतिहार वंश, परमार प्रतिहार वंश इनका ख्यातों में भी कथन है। सोमेश्वर रचित ललित-विग्रह नाटक में भी इतिहास है । रसिक - प्रिया काव्य के कुछ पत्र और पृथ्वीराज रासों के होंगे कुछ पत्र | हमारे पास रायनगर के पत्रोंमें हैं, जहाँ
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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