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________________ १५८ *श्री बेच समाजका इतिहास ख्यात तथा राजपूताने की अन्य ख्यातों में लिखा मिलता है। उस कीर्तिपाल का अबतक केवल एक ही लेख मिलता है, जो विक्रम सम्वत् १२१८ को दान पत्र (जिल्द ६, पृष्ठ ६८७० ) है। उससे विदित होता है कि उस समय उसका पिता जीवित था और उस कीर्तिपाल को अपने पिता की ओर से बारह गाँवों की जागीर मिली थी। जिसका मुख्य गाँव नड्डूलाई ( नारलाई ) जोधपुर राज्य के गोडवाड़ जिले में मेवाड़ की सीमा के निकट था । उसी कीतू ने जालोर का राज्य अधीन करने तथा स्वतंत्र राजा बनने के पीछे मेवाड़ का राज्य छीना हो--ऐसा अनुमान होता है ; क्योंकि उपर्युक्त कुंभलगढ़ के लेख में उसको राजा कीर्तृ लिखा है। जालोर से मिले हुए विक्रम सम्बत १२३६ के शिलालेख से पाया जाता है कि उस सम्बत् में कीर्तिपाल ( कीर्तृ ) का पुत्र समरसिंह वहाँ का राजा था। उसको फिर सामन्तसिंह शीसोदे के भाई कुमारसिंह ने कीर्ते से युद्ध कर गुजरात के राजा को प्रसन्न कर उसकी सहायता से कीर्त को जीत कर मेवाड़ का राज्य ले लिया। कीर्तृ ( दशपुरनगर ) मन्द
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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