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________________ १०४ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ___ इटावा जिले की भूमि ऐतिहासिक सत्यों को अपने हृदयमें छिपाये पड़ी है। आसई खेड़ा, मुंज; कुदरकोट और चकर नगरके खंडहरों में जैन मूर्तियां औरजैन साहित्य का कितना भंडार भरा पड़ा है यह तो कोई अन्वेषी अनुसंधान कर्ता ही बतला सकता है । अगर संयुक्त प्रांत की सरकार इन ऐतिहासिक स्थानों की ओर ध्यान दे तो बहुत सी अप्राप्य ऐतिहासिक सामग्री प्राप्त की जा सकती है। क्या सरकार का ध्यान इस ओर जायेगा ? इस इटावाके सरकारी गजटियर के लेख से पाठकों को मालूम हो कि जो पहिले ही पेजमें लिखा है कि कुदर कोट में (कुदर कोट एक इटावाकी तहसील है) उसमें एक ताम्र पत्र मिला है जो सं० ११५४ में चन्द्रदेव के शासन कालमें लिखा गया था। इससे आप लोगों को विदित होगा जो फिरोजाबाद के अटाके जिन मन्दिर में श्याम पाषाण की प्रतिमा है और उसको पहले हम देखा था उस पर यह निम्नलिखित लेख था। सम्बत् ११५३ जेठ बदी त्रयोदशी लम्बकञ्चुकान्वये श्रीचन्द्रदेवराज्ये इत्यादि ।
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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