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________________ सन् १९५४ ___ श्री अजीतमलजी पारख द्वारा त्यागपत्र देने पर श्रीमान् जुगराजजी रोठिया को ट्रस्टी चना गया। सन् १६५६ प्रवन्ध कारिणी के तीन सदस्यों (सर्व श्री जुहारमलजी गोलछा बीकानेर, शेरमलजी डागा व . मनसुखदासजी बोथरा गंगाशहर) का निधन हो जाने से उनके स्थान पर रार्यश्री कन्हैयालालजी मालू, चांदमलजी : डागा व हणूंतमलजी वोथरा का चयन किया गया। गृह उद्योग शाला को जवाहर विद्यापीठ द्वारा संचालित करने का निर्णय लिया गया। सन् १६६१ संस्था के दो मकानों (बीकानेर व श्री गंगानगर) को बेचने हेतु निर्णय किया गया। इन्हें वेचकर राशि व्याज पर लगाई गई। इनसे क्रमशः ३३००० रु. व ३०,००० रु. की राशि प्रात हुई। सन् १९६२ श्रीमान् चम्पालालजी वांठिया ने मंत्री व कोपाध्यक्ष पद पर किसी अन्य महानुभाव को चयनित करने की प्रार्थना की। इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ। सन् १६६४ ___श्री घेवरचन्दजी बोथरा का देहावसान हो जाने के कारण उनके स्थान पर श्री अजीतमलजी पारख का चयन किया गया। छात्रों को धार्गिक शिक्षण के साथ व्यावहारिक शिक्षण प्रदान करने हेतु ३-४ अध्यापकों को नियुक्त करने का निर्णय किया गया। सन् १६६६ संस्था का लेखा ऑडिट कराने हेतु डागा एन्ड कं. बीकानेर को नियक्त करने का दिनांक ६/१/६६ का ... निर्णय हुआ। पूर्व में यह कार्य समाज के ही दो सदस्यों द्वारा किया जाता था। जवाहर किरणावलियों व सद्धम मण्डन को छपाने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई। स्व. श्री अजीतमलजी पारख के स्थान पर उनके सुपुत्र श्री पीरदानजी को चयनित किया गया। सन् १९६७ श्री हणूंतमलजी सेठिया का निधन हो जाने से श्री चांदमलजी डागा को अध्यक्ष पद पर चुना गया। ट्रस्टियों का चुनाव निम्नानुसार हुआ१. श्री जुगराजजी सेठिया २. श्री छगनलालजी वैद ३. श्री चम्पालालजी बांठिया ४. श्री जसकरणजी बोथरा १६६
SR No.010525
Book TitleJawahar Vidyapith Bhinasar Swarna Jayanti Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranchand Nahta, Uday Nagori, Jankinarayan Shrimali
PublisherSwarna Jayanti Samaroha Samiti Bhinasar
Publication Year1994
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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