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________________ दिनांक १६/१/४४ को सेठिया लायब्रेरी, बीकानेर में श्रीमान् भैरोंदानजी सेठिया की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि पूज्यश्री के स्मारक रूप में कक्षा नवीं व दसवीं का एक हाईस्कूल स्थापित किया जाय। इसमें कॉमर्स के साथ धार्मिक अध्ययन भी कराया जाय। इसी क्रम में दिनांक १७/१/४४ को भीनासर में बैठक हुई एवं १६/१/४४ को बीकानेर श्री संघ ने भी सर्व सम्मति से स्वीकृति प्रदान कर दी। दिनांक १६/४/४४ को श्रीमान् चम्पालालजी बांठिया के बंगले पर श्री घेवरचन्दजी बोथरा की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें 'श्री जवाहर विद्यापीठ' की योजना सर्वसम्मति से स्वीकृत की गई। इसी दिन बीकानेर में भी कार्यकारिणी सदस्यों की बैठक सेठिया लायब्रेरी में हुई। इसकी अध्यक्षता श्रीमान् बुधसिंहजी बैद ने की। इसमें स्मारक की सम्पत्ति को सुरक्षित रखने, इसे बैंक में लगाने या मोर्टगेज कर ब्याज अर्जित करने हेतु चार सदस्यों की समिति गठित की गई। स्वप्न जो साकार हुआ दिनांक २६/४/४४ विद्यापीठ के इतिहास में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। सेठिया कोठड़ी बीकानेर में श्रीमान् मगनमलजी कोठारी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि पूज्यश्री की स्मृति को स्थायी बनाने हेतु श्री जवाहर विद्यापीठ नाम से संस्था स्थापित की जाय । इसके उद्देश्य थे१. आचार्यश्री के व्याख्यानों को प्रकाशित करना। २. जैन समाज में शिक्षा का प्रचार करना । ३. जैन सिद्धान्तों का प्रचार करना। ४. साधु-साध्वियों में शिक्षा का प्रसार करना । ५. योग्य जैन विद्यार्थियों को भोजन, आवास आदि की सहायता करना। ६. उच्च शिक्षा प्रदान कर समाज में प्रौढ़ विद्वान तैयार करना। उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निम्नांकित कार्य प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया(१) प्रकाशन विभाग (२) पुस्तकालय (३) विद्यार्थी निवास (४) धार्मिक शिक्षण शाला (५) उच्च शिक्षा सदन (६) उपदेशक विभाग ___ इस सन्दर्भ में श्रीमान् भैरोंदानजी सेठिया ने एक पत्र दिनांक ३०/४/४४ द्वारा अपनी राय व्यक्त की। जो इस प्रकार है : संस्कृत, प्राकृत और आगम के प्रौढ़ विद्वान तैयार करने की विद्यापीठ की योजना को मैं सुन्दर, । समयानुकुल एवं समाज के लिए परम उपयोगी समझता हूँ। समाज को ऐसे विद्वानों की बड़ी आवश्यकता है। याद : विद्यापीठ से ५-७ विद्वान भी तैयार होकर समाज में काम करने लगे तो योजना की सफलता है। दिनांक १०/५/४४ को प्रबन्ध कारिणी समिति की बैठक (अध्यक्षता श्रीमान् कानीरामजी बांठिया) म । पदाधिकारियों का चुनाव हुआ और जवाहर विद्यापीठ के विधान व नियमावली को स्वीकृति प्रदान की गई। दिनांक २१/११/४४ की बैठक में निर्णय किया गया कि 'प्राच्य विद्या मन्दिर' बन्द कर दिया जाय व केवल बोर्डिंग ही रखा जाय। बोर्डिंग में धार्मिक पढ़ाई आवश्यक रखी जाय। प्रारम्भ में ५० विद्यार्थियों का प्रपा १६४
SR No.010525
Book TitleJawahar Vidyapith Bhinasar Swarna Jayanti Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranchand Nahta, Uday Nagori, Jankinarayan Shrimali
PublisherSwarna Jayanti Samaroha Samiti Bhinasar
Publication Year1994
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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