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________________ भाद्र होता रहा परन्तु मुख्य ध्येय श्रीमद् जवाहराचार्य की कालजयी वाणी को अक्षुण्ण बनाना रहा है। वर्तमान में संचालित संस्था की प्रवृत्तियां निम्नांकित हैं अनुभाग आचार्य श्री के व्याख्यानों से संकलित, सम्पादित ग्रन्थों को 'जवाहर किरणावली' नाम से प्रकाशित दि जा रहा है। अब तक किरणावली की ३५ किरणें प्रकाशित हुई थी, जिनकी संख्या स्वर्ण जयन्ती वर्ष में ५० दी गई है। इनमें गुंफित आचार्य श्री की वाणी जन-जन तक पहुंचाने का यह कार्य कीर्तिमानीय है । संस्था द्वारा न २५ प्रतिशत छूट दी जाती है और स्वर्ण जयन्ती वर्ष में २५ प्रतिशत राशि श्री रिखबचन्द जैन के टी. टी. ल ट्रस्ट द्वारा वहन करने से किरणावली के सेट अर्द्ध मूल्य में विक्रय किये गये । जैन व्याख्या साहित्य, प्रवचन साहित्य, कथा साहित्य, सूक्ति साहित्य एवं दृष्टांत साहित्य में आचार्य श्री के महित्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। आत्मधर्म के साथ राष्ट्र धर्म जोड़कर, सामाजिक जागृति एवं आत्मोन्नयन का गत किया आचार्यश्री ने । उनके विचार परिवर्तित परिस्थितियों में भी प्रासंगिक व उपादेय है । हर पुस्तकालय प्रकाशन के बाद यह विद्यापीठ की प्रमुख प्रवृत्ति है । भौतिकवादी जगत् में ज्ञान विज्ञान से परिचय झरने हेतु पुस्तकालय महत्त्वपूर्ण साधन है और यह पुस्तकालय उसकी समुचित पूर्ति करता है। इसमें धर्म, न्यास कहानी, काव्य नाटक, भूगोल, जीवनी, आत्मकथा, जैनागम, राजनीति, योग, ज्योतिष, अर्थशास्त्र, देशग्राफी, विज्ञान, कानून एवं विविध विषयों की ५१०० पुस्तकें हैं। अनेक दुर्लभ एवं प्राचीन ग्रन्थ विशिष्ट हैं। रदसतियां जी, विद्यार्थीगण एवं जिज्ञासुजन इससे लाभान्वित होते हैं । लिखित ग्रन्थ प्रकोष्ठ पुस्तकालय में लगभग ५०० हस्तलिखित ग्रन्थ हैं । १६ वीं से २० वीं शताब्दी तक के ग्रन्थों की भाषा , संस्कृत, राजस्थानी, गुजराती, डिंगल, मेवाड़ी आदि है। इनमें जैन आगम सूत्रों (मूल, अंग, उपांग, छेद ं) की एकाधिक प्रतियां हैं। उत्तराध्ययन सूत्र, नन्दी सूत्र, दशवैकालिक सूत्र, सूयगड़ांग सूत्र, ठाणांग सूत्र, उपरांग सूत्र, ज्ञाता सूत्र आदि मूल, टीका, टब्बा आदि रूप में उपलब्ध है। साथ ही दाल, चौपई, दूहा, चौपाई, उन, सज्झाय, उपदेशी, चौढ़ालियो आदि संज्ञक रचनाएं भी हैं । प्रसन्नता है कि शीघ्र ही हस्तलिखित ग्रन्थ रचनाओं की सूची प्रकाशित की जाने वाली है। वाचनालय पुस्तकालय के वाह्य कक्ष में वाचनालय का संचालन होता है । प्रतिदिन लगभग ६० पाठक ओं का अध्ययन कर ज्ञानार्जन करते हैं। वाचनालय में निम्नांकित पत्र-पत्रिकाएं उपलब्ध कराई जाती त्रैमासिक - निरोगधाम मासिक—नन्दन, चन्दामामा, सुमन सौरभ, कादम्बिनी, सामान्यज्ञान दर्पण, विज्ञान प्रगति, गृह शोभा, दर्पण, हंस, नन्हें सम्राट । ܕܕ
SR No.010525
Book TitleJawahar Vidyapith Bhinasar Swarna Jayanti Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranchand Nahta, Uday Nagori, Jankinarayan Shrimali
PublisherSwarna Jayanti Samaroha Samiti Bhinasar
Publication Year1994
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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