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________________ नववा अध्याय [ ३५७ Ji (१०) अजीव संयम -- अर्थात् वस्त्र, पात्र, पुस्तक आदि निर्जीव वस्तुओं को यतनापूर्वक उठाना, रखना, उसका सदुपयोग करना एवं संभाल कर काम में लाना । (११) प्रेक्षा संयम - प्रत्येक वस्तु सम्यक् प्रकार से देख-भाल कर काम में लाना । इससे स्व-पर रक्षा होती है । (१२) उपेक्षा संयम - सत्य धर्म का उपदेश देकर मिथ्यादृष्टि को सस्यग्दृष्टि बनाना, सम्यग्दृष्टि को श्रावक या साधु बनाना, जो किसी कारण धर्म से चलित हो रहा हो उसे सहायता देकर धर्म में स्थिर करना, आदि । (१३) प्रमार्जना संयम - जहां परिपूर्ण प्रकाश न हो वहां तथा रात्रि के समय रजोहरण से भूमि का प्रमार्जन करके गमनागमन करना, शरीर पर कीड़ी आदि जन्तु चढ़ जाय तो पूंजणी से प्रमार्जन करके हटाना, आदि । (१४) परिस्थापन संयम - मल, सूत्र, कफ़, अशुद्ध आहार को देख-भाल कर निर्जीव भूमि पर डालना, जिससे किसी जीव का घात न हो । (१५) मनः संयम — मन को अपने आधीन बनाना, दुर्विचार न होने देना, मन का निरोध करना । (१६) वचन संयम - अनुचित वचन का प्रयोग न करना अथवा सर्वथा मौन धारण करना । (१७) काय संयम-शरीर की चेष्टाओं को रोकना अथवा दोष-युक्त व्यापार शरीर से न होने देना । वैयावृत्य का स्वरूप तप के प्रकरण में कहा जायगा । नव वाड़ युक्त ब्रह्मचर्य का कथन किया जा चुका है । रत्नात्रय का भी स्वरूप-वर्णन हो चुका है । शेष भेद प्रसिद्ध हैं । पूर्व कथनानुसार श्राचार्य सम्मत गुणों में आठ प्रभावनाएँ भी अन्तर्गत हैं । उनका स्वरूप संक्षेप में इस प्रकार है: (१) प्रवचन प्रभावना - वीतराग सर्वज्ञ भगवान् का उपदेश प्रवचन है और उसकी प्रभावना करना अर्थात् उसके सम्बन्ध में विद्यमान अज्ञान की निवृत्ति करना प्रवचन प्रभावना है । कहा भी है अज्ञानतिमिरव्याप्तिमयाकृत्य यथायथम् । जिनशासनमाहात्म्य प्रकाशः स्यात् प्रभावना ॥ अर्थात् अज्ञान रूपी अन्धकार को यथोचित उपायों से दूर करके जिनेन्द्र भगचान् के शासन की महत्ता प्रकट करना प्रभावना है । जिन का उपदेश ही इस लोक में हितकारी है । उस का अनुसरण किये बिना कल्याण नहीं हो सकता । किन्तु उसके वास्तविक मर्म को न समझने के कारण अनेक . कल्याण कामीजन उसका आचरण नहीं करते, उस पर उपेक्षा का भाव रखते हैं।
SR No.010520
Book TitleNirgrantha Pravachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year
Total Pages787
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size51 MB
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