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________________ प्रथम अध्याय षद्रव्य निरूपण १ निर्ग्रन्थ प्रवचन का अर्थ २ श्रात्मतत्त्व विचार ३ श्रात्मसिद्धि ५ ८ १२ १५ १६ १८ ६ श्रात्मदमन से लाभ १६ १० भौतिक युद्ध और आन्तरिक युद्ध २० ४ आत्मा का कर्तृत्व ५ कर्मफल का भोग श्री निर्ग्रन्थ प्रवचन विषयानुक्रम ६ श्रात्मदमन और चित्तशुद्धि ७ आत्मा और शरीर की भिन्नता ८ श्रात्मदमन के साधन ११ श्रात्मशुद्धि २२ १२ श्रात्मा और इन्द्रियों का संबंध २५ १३ आत्मा और शरीर २६ १४ संसार - निस्तार २७ १५ जीव के लक्षण २८ ✪ १६ उपयोग का विशेष लक्षण ३० ૧૨ ४६ १७ नय तत्त्व - विचार १८ लोक स्वरूप १६ षद्रव्य निरूपण २० द्रव्य, गुण और पर्याय २१ द्रव्य विचार २२ स्याद्वाद २३ पर्याय का स्वरूप २४ लक्षण का लक्षण द्वितीय अध्याय - कर्म निरूपण १ कर्म शब्द की व्युत्पत्ति १२ कर्म के भेद ३ मूर्त का मूर्त्त के साथ संबंध ५० ६५ ६६ ७५ ७७ ७६ ม ४ कर्म की व्यापकता ५ कर्म पौगलिक हैं ६ कर्मों के क्रम की उपपत्ति ७ कर्मों का स्वरूप ८ कर्मों की विभिन्न शक्तियां ८२ ६ ज्ञातावरण कर्म का निरूपण १० दर्शनावरण कर्म का निरूपण ११ वेदनीय कर्म का निरूपण १२ मोहनीय कर्म का निरूपण १३ मिथ्यात्व के इस भेद, ९४ चारित्र मोह का निरूपण १५ कषाय और प्रतिक्रमण १६ कषायों का विवेचन १७ नोकषाय का अर्थ १८ आयु कर्म का निरूपण १६ श्रायु का बंध २० नाम कर्म का निरूपण ८० ३१ परिग्रह साथ नहीं देता ३२ मोह कर्म का कारण ३३ राग-द्वेष * ८३ 蚁 ८६ ८७ दद ८६ ६१ ६३ ६६ ६७ ६८ ६६ १०१ १०२ १०३ २१ गोत्र कर्म का लक्षण २२ गोत्र कर्म और अस्पृश्यता २३ अन्तराय कर्म का निरूपण २४ कर्मप्रकृतियों के विभाग ११० २५ कर्मों की स्थिति १११ २६ लागरोपम का अर्थ ११२ २७ कर्मों के फल ११४ २८ कर्म फलदाता है ११५ २६ कर्म अमोघ है। ११६ ३० कर्त्ता ही कर्म फल भोगता है ११८ १२१ १२३ . १२५ १०६ १०७ १०८ 14
SR No.010520
Book TitleNirgrantha Pravachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year
Total Pages787
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size51 MB
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