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________________ ( ५४० ) जैनतत्वादर्श. असत्य बोल बोलता नथी, वल्ली तने जे तारा तपनुं अजिमान बे, ते तारो तप निष्फल बे, कारण के तमारा शास्त्रमां लख्युं बे के " गतिर्नास्ति ” अर्थात् पुत्र रहितनी गति नथी, या शुं तें शास्त्रमां सांअपुत्रस्य जल्युं नथी ? तो जेनी शुभगति न य तेनाथी अधिक पापी कोण बे ? जमदग्निए विचार कर्यों के अमारा शास्त्रमां तो जेम चकलाए क तेमज बे. तेथी फरी मनमां विचार श्राव्यो के, ज्यारे मारे स्त्री अने पुत्र नथी, त्यारे मारो सर्व तप एवो बे के, जेम पाणीना प्रवाहमां मुतखं, वो बे. हवे जमदग्निने मनमां स्त्रीनी चाहना थर. श्रा प्रमाणे देखी ध्वनंतर देवता जैन धर्मी थयो. बने देवतार्ज त्यांची अदृश्य थ गया. जमदग्नि त्यांथी उठी नेमिक कोष्टक नगगरमां जीतशत्रु राजा पासे गयो, राजाने बहु पुत्री हती, तेथी तेनी एक पुत्री मार्ग, एवो विचार कर्यो. राजा पण रुषिने देखी श्रासनथी उठी वे हाथ जोडी प्रणाम करी कहेवा लाग्यो के आप शा वास्ते अत्रे पधार्या हो ? मने आदेश करो ? यापनुं जे काम होय ते हुं करीश. जमदग्निए कयुं, हुं तारी पासे तारी एक कन्या मांगवा श्राव्यो बुं. राजाए कहुं, मारे (१००) सो पुत्री बे, तेमांथी जे तमारी चाहना करे, ते तमे सुखे लइ जार्ज. जमदग्नि कन्यार्जना मेहेलमां गया: श्रने कड़ेवा लाग्या के तमारामांची जेने मारी धर्मपत्नी य होय ते कही द्यो. ते राजपुत्रीए जटावाला, ताल पडेला तथा धोला केशवाला, दुर्बल ने जीख मांगी खानारा जमदग्निने दो, अने तेनुं था वचन सांजल्युं, त्यारे सर्वे तेनी उपर थुंकवा लागी ने कड़ेवा लागी के श्रावी वात करतां तने लता थावती नथी ? तेर्जना अपमानथी जमदग्निने क्रोध चढ्यो अने विद्याना प्रजावथी ते राजपुत्रीने महा कुरुपवान् बनावी दीधी, धने पोते त्यांथी निकली मेहेलोना श्रांगणामां श्राव्या; त्यां राजानी नानी पुत्री तीना ढगलामां रमती इती, तेने, हाथमां बिजोरानं फल लइ कहेवा लाग्यो के हे रेणुका ! तुं मने वांबे बे ? ते बालिकाए बिजोरुं देखी हाथ पसार्यो, तेथी रुषिए कयुं के श्रामने वांडे बे, एम कही मुनिए तेने लइ सीधी. राजाए केटलीक गाय तथा धन थापी पुत्रीनो विवाद तेनी साथै विधि पुर्वक कर्यो पढी जमदग्निए पोतानी सर्वे सालीने
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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