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________________ एकादश परिवेद. (५३७) दूर करवावास्ते पोतानी बनावेली नाष्यमां अर्थोनी अत्यंत तोड फोड करेली बे, परंतु पुराणवालाये जे कथा लखेली ते केवी रीते बुपावी शकशे? अमारा मतमां तो वेद श्रुति अने ब्रह्मा (प्रजापति) नो अर्थ यथार्थज करेल . श्रा जीतशत्रु (प्रजापति) राजाने मृगावतीथी त्रिपष्ट नामनो पुत्र थयो. ज्यारे त्रिपृष्ट अने अचल बंने यौवनवंत थया, त्यारे तेउये त्रिखंडना राजा अश्वग्रीवने मारी त्रण खंडनुं राज्य कर्यु. त्यार पड़ी चंपापुरीमा श्दवाकुवंशी वसुपुज्य नामनो राजा थयो, तेनी ज्या नामा राणी तेनाथी श्रीवासुपुज्य नामना बारमा तीर्थंकर थया, तेमना समयमां बीजा छिपृष्ट वासुदेव अने अचल बलदेव थया,अने तेऊना प्रतिशत्रु रावण समान तारक नामना बीजा प्रतिवासुदेव थया.आ सर्व वासुदेव,चक्रवर्ती श्रादिनुं संपूर्ण वर्णन त्रेसठ शलाका पुरुष चरित्रथी जाणवू. _ त्यार पड़ी कपिलपुरनगरमा इक्ष्वाकुवंशी कृतवर्मा नामा राजा थया, तेनी श्यामा नामा राणीना पुत्र श्रीविमलनाथ नामना तेरमा तोयंकर थया. तेमना समयमांत्रीजा खयंजु वासुदेव, जज नामा बलदेव, अने मैरक नामना प्रतिवासुदेव थया. __ त्यार पनी अयोध्या नगरीमा श्वाकुवंशी सिंहसेन राजा थया, तेनी सुयशा राणीना पुत्र श्री अनंतनाथ नामना चौदमा तीर्थंकर श्रया, तेमना समयमां चोथा पुरुषोत्तम वासुदेव, सुप्रन नामना बलदेव भने मधुकैटज नामना प्रतिवासुदेव थया. त्यार पड़ी रत्नपुरी नगरीमां इक्ष्वाकुवंशी जानु नामना राजा थया, तेमनी सुव्रता नामनी राणीना पुत्र श्रीधर्मनाथ नामना पंदरमा तीर्थंकर थया. तेमना समयमां पांचमा पुरुषसिंह नामना वासुदेव, सुदर्शन नामना बलदेव, अने निशुंन नामना प्रतिवासुदेव थया. अहींा सुधी पांच वासुदेव जे थया ते सर्वे अरिहंतना जक्त अर्थात् जैनधर्मी थया. त्यार पड़ी पंदरमा धर्मनाथ अने सोलमा शांतिनाथजीना अंतरमांत्रीजा मघवा नामना चक्रवर्ती अने चोथा सनत्कुमार नामना चक्रवर्ती थया. त्यार पड़ी हस्तिनापुरी नगरीमां कुरुवंशी विश्वसेन राजा तेमनी अचिरा राणीना पुत्र श्रीशांतिनाथ नामना सोलमा तीर्थंकर थया. ते प्रथ ६८
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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