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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवा भाग .. विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण यात्म दयन के विषय में १६४ ७ २०७ सोलह गाथाएं आत्मभूत लक्षण ६२ १४३ न्याय. दी प्रका. १ मात्म रक्षक देव ७२६ ३ ४१६ नत्त्वार्थ अध्या, ८ सू ४ आत्मवादी प्राचा श्रु १ भ.१३ १सू ५ मात्मसंवेदनीय उपसर्ग २४३ १ २२० ठा ४३ ४सू ३६१,सूय.श्रु १५३ के चार प्रकार उ १ नि गा ४८ आत्मा १ १२ ठा.१ उ १ सू २ धात्मांगुल की व्याख्या ११८ १ ८३ अनु सृ. १३३ वात्मा के विपयमें गण- ७७५ ४ २४ विशे गा १५४६ से १६०५ धर इन्द्रभूति कीशका और उसका समाधान आत्मा के आठ भेद ५६३ ३ ६५ भश १२ उ १० सू. ४६५ मात्मा के माठ भेदों का ५९३ ३ ६५ भ श १२ उ १० सू ४६७ पारस्परिक सम्बन्ध १ आत्मागम ८३ १६१ मनु सू. १४४ मात्मा तीन १२५ १ ८४ पग्मा गा.१३-१५ आत्मा पर छ: गाथाएं ६६४ ७ १५६ मात्यन्तिक मरण ८७६ ५ ३८३ सम १७प्रव द्वा १५७गा १००६ आदानपद नाम ७१६ ३ ३६६ अनु सू. १३० पादान भंडमात्र निक्षे-३२३ १ ३३१ सम..ठा ५ उ ३ सू.४५७,ध पणा समिति थधि : ग्लो ४ष्टी.११३०, उत्त अ २४ गा २ १ प्रागम का एक भेद।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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