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________________ संकेत नत्र नवपद. निर निशी (२८) ग्रन्थ नाम,भाषा व काल ग्रन्यकता और उसका काल प्रकाशन का स्थान भौर समय नवतत्व,मूल-प्राकृत हिन्दी श्री आत्मानद जैन पुस्तक प्रचारक मडल देहट भाषानुवाद सहित वीर स. २४४२ नवपद प्रकरणा बृहद्वृत्ति मूलक -देवगुप्तसूरि देवचंद्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फड वम्बई मूल-प्राकृत [विस १०७३] टीकाकार-यशोदेव उपाध्याय वीर सं. २४५३ टीका सस्कृत वि स ११६५] निरयावलिकासूत्र, मूल-प्राकृत टीकाकार-श्रीचन्द्रसूरि भागमोदय समिति टीका संस्कृत वीर सं २४४८ निशीय सूत्र, मूल प्राकृत अनुवादक-श्रीअमोलखऋषिजी महाराज राजा बहादुर लालासुखदेव सहायजीज्वालाप्रसादर्ज हिन्दी अनुवाद सहित [विसं १९३४ महेन्द्रगढ़,वीर स २४४५ न्यायसूत्र वात्स्यायनभाष्य सूत्रकार-महर्षिगौतम,भाष्यकर-वात्स्यायनमुनि जयकृष्णदास गुप्ता विद्या विलास प्रेस तथा वृत्ति सहित सस्कृत वृत्तिकार-विश्वनाथ न्याय पचानन भट्टाचार्य वनारस ,सन् १६२• ई महामहोपाध्याय भीमाचार्य न्यायदर्शनम ( ग गवर्नमेन्ट सेन्ट्रल वुकडिपो बम्बई, सन् १८९३ ई. न्यायदर्शनम् (न्यायसूत्रम्) सूत्रकार-महर्षि गौतम,भाष्यकर-वात्स्यायनमुनि जयकृष्णदास गुप्ता विद्या विलाम प्रेस संस्कृतभाष्य तथात्तिसहित वृत्तिकार-विश्वनाथ न्याय पंचानन भट्टाचार्य. वनारस, सन् १९२० ई. न्यायदीपिका,सस्कृत हिन्दी श्रीधर्मभूषण यति ( सन् १६००ई) श्रीजैन ग्रन्धरत्नाकर कार्यालय बम्बई, अनुवाद सहित अनुवादक-पं खूबचद्रजी वीर सं. २४३६ न्याय न्याय को न्याय द न्याय दी.
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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