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________________ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाना विषय बोल भाग पृष्ठ , प्रमाण । संक्रम की व्याख्या और भेद२५० १२३५ ठा.४.२६ ,कर्म भा.गा। संक्रमण करण ५१२ ३ ६५ कम्म.गा २ १ संक्रामरा दोष ७२२ ३ ४१० टा १० ३ ३ सू.७४३ । संक्तश दस ७१४ ३ ३८८ ठा१०३ ३ ४९६ संक्षेप रुचि ६६३ ३.३६३ वृत्तम २८ गा२६ . • संख्यातजीविकवनस्पति ० १ ५. या ३३.१ स्मृ १४१ संख्यादत्तिक ३५४ १ ३६६ ठाम ३६६ .. संख्यान दम ७२१३४०४ मा १० उ.३सू.५४७ .. " संख्या प्रमागा श्राट ६१६३ १४१ अनुम्म १४६ संख्या या परिमाण ७२१३ ४.४ टा.१० ३.३.४५ जानने कदम बोल संख्येय के नीन भेद ६१६ ३ १४४ मनु मृ १४६ , संगीन कंगाट तथा अन्य ५४. २ २७३ मनु १२७मा ८,E, टा ७३ र ४५३ संगीन के छः दोष ५४० २ २७३य? १२७गा ४० ठा.३३३ मंग्रह दान ७६८ ३ ४५, टा १० इ. म संग्रह नय और उसके दो ५६२ २ ४१४ रत्ना परि १२..., मनु, मा .१३७ संग्रह परिक्षा सम्पदा ५७४३१५ दशाद यात.. मंघ की लाट उपमा ६२३ : १५६ नीyि 1.6-10 मंघ नार्थ है, यानार्थडर १८६ १३४ यि गा १० 23-103, तीर्थ है ? भग२०३८८१ मंच पर ६६२ ३ ३६१ ठा १०.७६० १२ टोप, अनु। त्रिय प्रातुन पर रोदना। २६-777 में गत्यात नानि में लगा माल भद
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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