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________________ कारगा. क्षेत्र. गच्छा . गीता (२४) कारगा सवाद,हिन्दी शतावधानी श्री रत्नचन्द्रजी स्वामी - हीरालाल सुगनचद जैन नया बाजार अजमेर वीर स २४६५ (वि. स १६३६-१९६८ वैशाख) वीर स २४१५ क्षेत्रलोक प्रकाश, सस्कृत उपाध्याय श्रीविनयविजयजी[१७वीं १८वीं शताब्दी] श्रावक हीरालाल हंसराज जामनगर गुजराती अनुवाद सहित अनुवादक-श्रावक हीरालाल हसराज ' वीर स २४४२ गच्छाचार पयना प्राकृत भागमोदय समिति, वीर स २४५३ श्रीमद्भगवद्गीता (संस्कृत) साधारण गीता प्रेस, गोरखपुर भाषा टीका सहित वि सं २००१ गुणस्थान क्रमारोह (संस्कृत का हिन्दी मूल-रत्नशेखरसूरि मात्म तिलक ग्रन्थ सोसायटी मनुवाद) वि सं १४४७ अनुवादक-श्री तिलकविजयजी पजाबी रतनपोल, महमदाबाद, वीर स २४४५ चौदह गुणस्थान का थोकड़ा, हिन्दी भैरोंदानजी जेठमलजी सेठिया बीकानेर वीर स २४५५ गौतम कुलक-प्राकृत गौतम मुनि श्री जैन धर्म प्रसारक सभा, भावनगर, वीर सं २४५४ चतुर्भावना पाठमाला मूल संस्कृत, मूल-शतावधानी श्रीरत्नचद्रजी स्वामी रत्नलाल अहदास जैन सोनीपत व्याख्या-हिन्दी (वि स १६३६-१९६८ वैशाख ) वीर सं २४५५ व्याख्या धर्मोपदेष्टा श्री फूलचंदजी महाराज चन्दनवाला (मती वसुमती) हिन्दी पूज्य श्रीजवाहरलालजी महाराज के व्याख्यान - श्री हितेच्छु श्रावक मडल रतलाम . . (वि स १६३२.२००० माषाढ शुक्ला ८) चीर स २४६२ a. चन्दन
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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