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________________ श्री जैन सिद्धान्त चोल संग्रह, आठवाँ भाग २७६ विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण बस्तु श्रत ६०१ ६५ कर्म भा १ गा. वस्तु समास श्रुत ६०१ ६५ कर्म भा.: गा ७ वस्त्र के पाँच भेद ३७४ १ ३८६ ठाउ ३ सू.४४६ वस्त्र पुण्य ६२७ ३ १७२ ठाउ ३ सृ.६७६ चह्निदशा सूत्र के १२ अ०७७७, ४ २३४, निरयावलिका सूत्र का संक्षिप्त विपय वर्णन ३८४ १४०५ । चाक कौत्कुच्य ४०२ १ ४२६ उत्त थ ३६गा २६१,प्रवद्धा ७३ चागतिशय १२६ख १ ६७ स्या का १ टी. वाचना ३८१ १ ३६८ ठाउ ३सू ४६४ वाचना के चार अपात्र २०७ १ २८५ ठा ४ ३ सू३२६ वाचना के चार पात्र २०६ १ २८५ ठा.४उ ३सू ३२६ वाचना देने के पाँच बोल ३८२ १ ३६८ ठा-५उ ३ सू ४६८ १ वाचना सम्पदा ५७४ ३ १४ दशा द ४,ठा ८उ ३सू.६०१ वाणी के पैंतीस अतिशय ६७६ ७ ७१ सम ३५ टी , रा सू ४ टी , उव.सू १०टी. २ वात्सल्य दर्शनाचार ५६६ ३ ८ पनप ११ ३७गा.१२८,उत्त. अ२८ गा ३१ वाद के दस दीप ७२२ ३ ४०६ ठा १०उ ३सू ७४३ चादी के चार भेद १६१ १ १४४ भश ३ ० उ १८ ८२४टी ,प्राचा म १उ १स ३टी सूय म.१२ वादी चार १६२ १ १४६ भाचा म १उ १८५ ३ वामन संस्थान ४६८ २ ६८ ठा.६ सू ४६५,कर्म भा १गा.४० गरिश की एक सम्पदा, गिष्यों को शास्त्र पटाने की योग्यता । २ अपने धर्म मे तथा स्वधर्मियों में प्रेम रखना । ३ जिय गरीर मे छाती, पेट पीट प्रादि अवयव पूरे हो किन्तु हाय पर धादि अवयव चोटे हों।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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