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________________ २१४ श्री मेठिया जैन पन्थमाला विपय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण मोक्षमार्ग के चार भेद १६५ १ १५३ उत्तम २८ गा २ मोक्षमार्ग के तीन भेद ७६ १५७ उत्त अ २८गा ३० तत्वार्थ अध्या मोक्षमार्गपर१५ गाथाएं ६६४ ७ १६५ मोनविषयकगणधरमभास७७५ ४ ६० विशे. गा 1६७२-२०२४ स्वामीका शंका समाधान मोसली प्रतिलग्वना ४४९ २ ५४ टा.६५०३,उत्त.भ.२६ गा.२६ मोह (सम्मोही भावना) ४०६ १ ४३३ उत्त थ.३६,प्रवदा ७३ गा.६० मोह गर्भित वैराग्य ० १ ६५ कभा २ श्लो. ११८ मोह जनन ४०६१ ४३३ उत.५ ३६,प्रा दा.३ गा.६.४६ मोहनीयकर्म और उसके ५६ ३ ६२ कर्म मा १ गा.१२.२२,तत्वा भेद मध्या ८,पन प २३१ २६३ मोहनीय कर्मफी २८ प्रकृतिह५१ ६ २८४ गर्म:गा गा १३.२२,गम २८ मोहनीयकर्मशीव्याख्या ,भेद२८ १ १६ टा. १०५,म.मा.पगा.१२ मोहनीय कर्म के ५६ नाम१८८८७ २७६ राम २,भराट ४५. मोहनीयकर्मवॉधन केटःकारण४४२ २ ४४ भग. ३ :४१ मोहनीयफर्मवॉधन के प्रकार ५१०३ ६३ गगम , पर प.२३ और उमका अनुभाव मोहनीयकर्मवेदताहुआजीव ७ १२० उ०१८ क्या मोहनीय कर्म वॉधता है या वंदनीय कर्म वॉधता है? माग्यरिक ४४४ २४८टा (डी.): १ गान चरक ३५३ १ ३६८ टा५३.१२. मागपत्र गणघरमादेवांक ७५ ४ ५. मिशे गा १८८ १८८। विषय में शंका समाधान न या पहिमा की गोषणा करने बाला सिमसारी गा।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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