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________________ २५६ श्री सेठिया जैन अन्यमाला विपय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण महासेन कृष्णा रानी ६८६ ३ ३४६ मंत० व.८ अ.१. महास्वप्न चोदह ८३० ५ २२ भश.१६उ.६८ ५७८,शा.प. ८ सू.६५, कल्पत ४ महेश्वरदत्तकीकथासम्यक्त्व८२१ ४ ४५६ नवपद,गा १८टी सम्यक्त्वाके विचिकित्सादोपकेलिए धिकार मांगलिक पदार्थ आठ ५६४ ३ ३ उव सू ४टी रा०सृ.१४ मांडला (ग्रासपणा)कपाँच३३० १ ३३६ घ अधि ३लो.२३ टी १४५, दोप पि.नि.गा ६३५-६८,उत्तम २४ १ माणवक निधि ६५४ ३ २२२ ठार. १६७१ माता के तीन श्रङ्ग १२३ १ ८७ ठा३र ८ सू २०६ मातापितास्वामीधमोचाये १२४ १८७ ठा.३३ १ मृ ३५ का प्रत्युपकार दुःशक्य है मातृकातर४६व्राह्मीलिपि केहद ७२६४ सम.४६ २ मातृकानुयोग ७१० ३ ३६२ ठा १०३.३ प ७२७ माध्यस्थ भावना २४६ १२२८ गाना (परिनिट), क.भा. १ ग्लो.1- . मान के चार भेद और १६० १ १२१ पन.प. १ नमू.१८८,टा ४८ २ उनकी उपमाएं सू.२ ३, नर्म गा.१गा. १६ मान के दस कारण ७०३ ३ ३७४ टा. १०६.५१०९०६ मान के बारह नाम ७६० ४ २७५ गन १२४४६ मान दोष ८६६ ५ १६५ प्रवद्रा : गा. ६३५ मधि३ j२२ टी ४०,पि.नि गा. १०८,पिffगापना.१३ गा.१८ चरवती की नौ माहानिधियों में मार निधि । २ उत्पाद, व्यय और धौम्य इन तीन पशे को मातृभादमदत है। इन्हें बीमादि पलों में पटाना मातृमानुयोग है।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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