SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 289
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवाँ भाग २४१ विषय चोल भाग पृष्ठ प्रमाण ब्रह्मचर्य ६६१ ३ २३४ नव ,सम १, शा.भा.१ प्रक.८ ब्रह्मचर्य की बत्तीस उपमा ६६४ ७ १५ प्रश्न धर्मद्वार४ सू २७ ब्रह्मचर्य के अठारह भेद ८६२ ५ ४१० सम.१८,प्रव द्वा.१६८गा.१०६१ ब्रह्मचर्य के समाधिस्थान७०१ ३ ३७२ उत्त०१६ ब्रह्मचर्यप्ति नौ ६२८ ३ १७३ ठाउ ३सू.६६३,सम में ब्रह्मचर्य पर सोलह गाथाएं९६४ ७ १७७ ब्रह्मचर्य महाव्रत की पॉच ३२० १ ३२७ भाव ह म ४६५८,प्रव द्वा. भावनाएं ७२गा ६३६,सम २५,याचा. ध्रु २.३ २४ सू.१७६,ध. अधि ३ग्लो ४५ टी पृ १२५ ब्रह्मचर्य वास ३५१ १३६६ ठा.५उ.१सू ३९६,ध अधि ३ श्लो ४६४ १२७,प्रव.द्वा ६६ ब्रह्मदेवलोक का वर्णन ८०८ ४ ३२२ पनप २ सू ५३ ब्रह्म स्थावर काय ४१२ १ ४३८ ठाउ १ सू ३६३ १ ब्राह्मण वनीपक ३७३ १३८८ ठा ५३ ३ सू ४४४ ब्राह्मी ८७५ ५ १८५ भाव ह गा १९६,त्रि पर्व १,२ ब्राह्मीलिपिक.४६मातृकाक्षरह८६ ७ २६४ सम.४६ भंग उनपचास श्रावक के१००३ ७ २६७ भश ८ उ ५ सू ३२६ प्रत्याख्यान के भंगछब्बीस सान्निपातिफ४७४ २ ८१ अनु. मृ १२६, ठा.६उ ३म् भाव के ५३५,कर्म भा ४गा.६४-६६ भंग सात (सप्तभंगी) ५६३ २ ४३५ सृय त्रु २५गा १०,मागम , सप्त.,रत्ना परि.४,स्या.का.२३ १ ग्राह्मण दान की प्रशना कर भिक्षा लेने वाला याचक ।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy