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________________ श्री बैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवा भाग २३६ विषय बोल भाग पृष्ठ समारण चारह श्रमणोपासक ७६३ ४ २७६ भ श८उ ५सू ३३० आजीवक के वारह संभोग ७६६ ४ २६२ निगी.उ.५,सम १२,व्यव.भा उ. वाल अवस्था ६७८ ३ २६७ ठा १० उ ३ सू ७७२ चाल पण्डित मरण ८७६ ५ ३८३ सम १७,प्रव द्वा १५७गा १००६ वाल पण्डित वीयोन्तराय ३८८ १ ४१२ कर्म भा १गा,५२,पन.प. २३ वाल मरण ८७६ ५ ३८३ सम १७ प्रव द्वा १५७गा.१००६ बाल मरण के बारह भेद ७६८४ २६८ भ श.२ उ सू१ वाल वीयोन्तराय ३८८ १ ४११ कर्म भा १गा ५२,पन्न. प.२३ वावन अनाचीणे साधु के१००७७ २७२ दश प्र.३ वावन भेद विनय के १००६ ७ २७२ प्रब द्वा ६५गा ५५१ वाहन्य(मोटाई) नरकोंकी ५६० २ ३२८ जी प्रति ३२.६८ वाह्य तप छः ४७६ २ ८५ उत्त.अ ३०गा ८,ठा.६सू ५११, उब सू १६,प्रवद्वा ६गा २७. १ बाह्यावाह्यानुयोग ७१८ ३ ३६४ ठा १०उ ३ १७२७ बीज वुद्धि लब्धि ६५४ ६ २६६ प्रव द्वा २७०गा १४६४ बाजरुचि(समक्तिकाभेद)६९३ ३ ३६३ उत्तम २८ गा.२२ ४६६ २ ६६ दश अ.४ वीभत्स रस ६३६ ३ २०४ अनुसू १२६गा.७४-७५ चौस असमाधि स्थान ०६६ २१ सम २०,दशा.द.१ वीस आश्रव सू ४१८,४२७,७०६ २ वीज रूह ६०७६ २५ सम ५,प्रश्न.नि.गा २१३,१.५ १ द्रव्यानुयोग का भेद, वान (विलक्षण)ोर अवाह्य (समान) का विचार । २ वीज से उगने वाली वनस्पति, जैसे शालि ग्रादि ।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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