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________________ २२४ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला विपय घोल भाग पृष्ठ प्रमाण प्रतान स्वप्न दर्शन ४२१ १ ४४४ भरा १६उ ६सू ५७७ प्रतिक्रमण आवश्यक ४७६ २ ६१ प्राव ह प ४ प्रतिक्रमण कल्प ६६२३ २४० पचा १७ गा.३२-३४ प्रतिक्रमण के पाठ भेद ५७६ ३ २१ भाव ह प ४नि गा १२३३और उन पर दृष्टान्त १२४२ प्रतिक्रमण के छः भेद ४८० २ १४ टा.६उ ३ सु.५३८ प्रतिक्रमण क्याव्रतरहित ११८६ १४४ प्राव ह य ४नि.गा १२७०टी को भी करना चाहिए? १५६८,पंच प्र (बदित्ता सूत्र) प्रतिक्रमण पर कथा ५७६ ३ २२ ग्राव. ध नि गा १२४२ प्रतिक्रमण पॉच ३२६ १ ३३७ ठाउ ३ सू ४६७,याव ह भ ४ निगा १०५०-१०५१ प्रतिघात पाँच ४१६ १४४० ठा ५३ १सू ४०६ १मतिचरणा पर कथा ५७६ ३ २३ प्राव हम ४नि गा १२४२ प्रतिज्ञा ३८० १३६६ रत्ना परि.३,न्यायदी.प्रका ३ प्रतिपत्ति श्रुत ६०१ ६४ कर्म भा १ गा." प्रतिपत्ति समास श्रत ६०१ ६४ कर्म.भा १ गा ७ प्रतिपाती अवधिज्ञान ४२८ २ २८ ठा६ मृ.५२६,नं स्पृ १४ प्रतिपणे पोषध व्रत के ३११ १ ३११ उपाय १.७ पाँच अतिचार प्रतिपृच्छा समाचारी ६६४ ३ २५० मश-१७ मृ८०१८ा १. उ३७८६,इत.२६गा २, प्रयदा १०१ गा ७६० १ सयम का सावधानता पूर्वक निटोंप पालन बग्ना प्रनिररणा है। २ गुरु ने पहले जिस कार्य के लिए निषेध पर दिया है उसी कार्य में ग्रावग्यातानुसार फिर प्रवृत्त होना हो तो विनय पूर्वक गुरु में पटना।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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