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________________ २१८ श्री मेटिया जैन प्रन्थमाला wwwmummunwar norm wwwin विषय वोल भाग पृष्ट प्रमाण पासत्य(पाश्वस्थ)साधु ३४७ १ ३५७ प्रब दा २गा १०४-१०५,आर हम.३नि गा.११.७.११.८ पिंगल निधि ६५४ : २२१ टा ६उ स १७३ पिण्डस्थ धर्मध्यान २२४ १ २०८ ज्ञान प्रक ३७,यो प्रका ७, मा २ श्लो २०७ पिंडपणाएं सात ५१६ २ २४६ प्राचा..२ च १२ १३ ११ सू६२ला.ज्य.स.१४५टी ध अधि श्लो.२२टो.१४५ पिता के तीन अङ्ग १२२ १ ८७ ठाउ ४८ २०६ पिहिय दोप(ग्रहणपणा ६६३ ३ २४३ प्रब द्वा ६७ ५६८,पि नि.गा. का एक दोप) ४२०,ध अधि ३ ग्लो २३टी. पृ४१,पचा १३गा.२६ पीड़ित वायु ४१३ १४३६ ठा ५३ २सू ४४४ पुण्डरीक,कुण्डरीककी कथा६०० ५ ४७२ ज्ञा० १६ पुण्य की तीन अवस्थाएं ६३३ ३ २०१ नवगा.१ व्याख्या पुण्य के नौ भेद ६२७ ३ १७२ टा.६ उ ३मू ६७६ पुण्यपाप विपयकगणधर७७५ ४ ५४ विशे.गा १६०५ - १६४८ अचलभ्राताकाशंकासमाधान पुण्य प्रकृतियाँ ८०६ ४ ३५० चर्म मा ५ गा १,१४,१५, पुण्य प्रकृतियॉ बयालीस ६३३ ३ १८२ पुण्य प्रकृतियाँ बयालीस १६३ ७ १५० ) पुण्य वॉधने के नौ प्रकार ६३३ ३ १८१ ना , टा.६.३म् १७६ पुण्यभोगनके ४२ प्रकार ६३३ ३ १८२ नर , धर्म मा ५ गा १५.१७ पुण्यवान को प्राप्तदसवोल ६५६ ३ २२४ उत प्र.३गा १७-१८ पुत्र की कथायोत्पत्ति की १४६ ६ २७१ नं २७ गा.६३ टी बुद्धि पर नवगा१०.१२
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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