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________________ २१४ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला बोल भाग पृष्ठ वि वो २२ १८३ विपय पाँच भिक्षुकमच्छ की उपमा ४१११४३७ पाँच भूपण समकित के २८४१२६४ पाँच भेद अन्तराय कर्म के ३८८ १ ४१० पाँच भेद आगेपणा के ३२६ १३३४ टाउन्सू ४३३,सम २८ टी. ३६६ १३८४ टा ५३ ३ सू.४४५ १५. २३, कर्म मा १गा ४० पाँच भेद कुशील के पाँच भेद चारित्र के ३१५ १ ३१५ ठतू ४२८, १४४, विशे गा १२६० - १९८० ३७५ १ ३६० टाई ४६३, कर्मभा १९ पाँच भेद ज्ञान के पाँच भेद ज्ञानावरणीय के ३७८ १३६३ य सू. ४६४, कर्ममा १ प्रमाण ठाउ ३ सू ४५३ १४२३० ४ ४०१, जी प्रति ३.१२० १४३५ प ११ उ. ३ ६ १६६-६६ पाँच भेद ज्योतिषी देवों के ३६६ पाँचभेद तिर्यच पंचेन्द्रिय के४०६ पाँच भेद निर्ग्रन्थ के पाँच भेद निपचा के पाँच भेद परोक्ष प्रमाण के पाँच भेद ३६८ १३८३ टा५३ ८४४ पुलाक कं पॉच भेट वकुश के पाँचभेद बन्धन नामकर्म के ३८० १४१५ कर्ममा १३५२१६ पाँच भेट वस्त्र के ३७४१३८६ पाँचभेदवेदिकाप्रतिलेखनाके ३२२ १ ३२० पाँच भेद शरीर के ३८६ १४१२ ट ८६ ३७० १ ३८५ ठा.३३४४५ ३५८ १ ३७२ ३७६ १ ३६५ रत्ना परि ३, ३६७ १ ३८२ ठा. ५.४४४ . २५३० पाँच भेद संवातनामकर्मके ३६१ १ ४१६ पाँच भेदसंसारी निधि के ४०७ १ ४३३ पाँच भेद समकित के २८२ १ २६१ ३ ४०० उ. ३ १०३ टी. ३१३६१.२५ ०६७ मा १.३३ , मा १गा ३६, २१६ ३.४ ३३ मा १.१४
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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