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________________ घी सेठिया जैन प्रत्यमाला विषय घोल भाग पृष्ठ प्रमाण पाँच पाँचभावनाएंगदत्ता-३१६ १ ३२६ दानविरमा व्रत, सम २५, आवायु २चुम परिग्रह विरमण व्रत, ३२१ १ ३२६ , २४सू १७६, भाव.इ.४४ प्राणातिपात विरमण व्रत,३१७ १ ३२४ १६५८,प्रव मृपावाद विरमणव्रत और३१८ १ ३२५ । 1 से ६ ४.,ध अधि,३ श्लो. ४५ टी पृ १२५ मैथुन विरमण व्रत रूप ३२० १ ३२७ / पांच महाव्रतों की पॉचपाँचभेद अस्तिकाय के२७७ १ २५४ ठा ५३ ३सू.४४१ पाँच प्रकार पाभियोगिकी४०४ १४३१ उन. ३६ २६२,प्रम द्वा भावना क ७३गा६४८ पॉचप्रकारामुरीभावना.४०५ १ ४३१ । उन प्र.३६गा २६ ४,२६१, पाँचप्रकारकन्दभावनाक४०२१ ४२८ । प्रब टा ७३गा ६८५.६४२ पाँचप्रकारकाप्राचारप्रकल्प३२५ १ ३३३ टा। उस ०३३ पाँच प्रकारका दण्ड २६० १ २६६ ठा। उ २ १८ पॉचप्रकारका प्रत्याख्यान३२८ १३३६ ठास ४६६, माय. १८४. पाँच प्रकार का स्वमदर्शन ४२११४४४ भाग १६उ ६ मृ ५७७ पाँचप्रकारकिल्चिपीभावनाकंट.३ १ ४३० उतम ३६गा.२६ २,प्रय हा ३३ पॉचप्रकार की प्रचित्तवायु४१३ १ ४३८ ठार.३ ४८८ पाँच प्रकार के मच्छ ४१० १ ४३६ ठा। उ १५३ पॉचप्रकार के मुण्ड ३६४ १ ३७८ टा । ३ ३ १ ४४ ? पाँच प्रकार के मुण्ड ३६५ १३७६ टा.५३३ ४ ३ पाँच प्रकार के वनीपक ३७३ १ ३८७ टा.५३ १४ पाँच प्रकार के श्रमण ३७२ १३८७ प्रर द्वा: ११
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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