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________________ 15 २१० विषय पाँच कारण चौमासे के पिछले सित्तर दिनों में विहार करने के श्री सेठिया जैन मन्यमाला प्रमाण बोल भाग पृष्ठ ३३७ १३४७ ठा ५ उ २ सू४१३ पाँच कारण चौमासे के ३३६ १३४७ ठा ४ उ २ सृ४१३ प्रारंभिक पचास दिनों में विहार करने के पाँच कारण दुर्लभ बोधि के २८६ पॉचकारण निद्रासेजागने के४२० ३४६ पाँच कारण पारंचित प्रायश्चित्त के १२६६ ट ५३२ सू.४२६ १४४४ ठा४ उ.२ सू ४३६ १३५६ ट ५३ १३६८ पाँच कारण मोक्ष प्राप्ति के २७६ १२५७ भागम, कारण,, सम्मति भा. ४ कांड३ गा ५३ पाँच कारण शिक्षा में बाधक४२३ १ ४४६ उत्तथ ११ गा ३ पाँच कारण संभोगी साधु ३४५ १३५६ ट ५३१ ३६८ को अलग करने के पाँच कारण साधु द्वारा ३४० १३५१ टा २४३७ साध्वी को ग्रहण करने या सहारा देने (स्पर्श करने) के पाँच कारण साधु साध्वी ३३६ १ ३४६ या ४८२ ४१७ के एकजगह स्थान, शय्या, निपधा आदि के पाँच कारण सुलभवोधिके २८७ १ २६६ ५ उ४२६ पाँच कारण मूत्र की वाचनाके३८२ १ ३६८ ठा५३३.६८ पाँच कारणों से साधु मास ३३५ १ ३४६ टा. ४ उ.२ मृ. ४१२ में दो या तीन वार पांच महानदियों कोपारकरसकता है
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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