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________________ श्री सेठिया जैन प्राथमाना विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण निबिगइपञ्च के नोआगार६२६३ १७४ श्राव ह म ६१८५४,प्रब द्वा.४ निशीथमूत्रका विषयवर्णन२०५ १ १८२ निशीथ. निश्चय ३६१ २५ विशे गा ३५८६,द्रव्य त.यध्या ८ निश्चय और व्यवहार नय ५६२ २ ४१६न्यायग्र अध्या ५,द्रव्य त प्रध्या ८ निश्चय और व्यवहार से ७६४ ४ २८० प्रागम श्रावक के बारह भाव व्रत निश्चय नय के दो भेद ५६२ २ ४२०रत्ना परिजनन्यायन अध्या। निश्चय सम्यक्त्व १० ११ वर्म मा १गा १५ ,प्रव द्वा.१८६ निपद्या के पाँच भेद ३५८ १ ३७२ टा२६६टी ,ठा. रस ४०० निपाद स्वर ५४० २ २७१ मनु सू.१२७गा २५,टा सृ.५५३ १ निपेक ४७३ २ ७६ भश ६ ३८ र २९० टी, टा६३सू.५३ टी निष्कांक्षित दर्शनाचार ५६६ ३ ७ पनप ११.३७,उन म गा ३५ २ निप्कृपना ४०५ १ ४३२ उत्तभ३६गा २६४,प्रब द्वा निष्क्रमण सुख ७६० ३४५४ टा १०३१७१७ निसर्गरुचि ६६३ ३ ३६२ उत्त प्र.२-गा.१७-१८ निसीहिया(नधिकी) ६६४ ३ २५० भाग २५३.५१८०१,ठा १० समाचारी उ7 ७८६,उत्तय गा. २-५, प्रब द्वा १० गा ७६. निव पाठवां (शिवभूति ५६१ २ ३६४ विशे गा २५५०-२६०६, अथवा वाटिक) टा७ उ ३ स५८७ निद्रव चोथा (अश्वमित्र) ५६१ २ ३५८ विगे.गा.२३८६-२८२३ निवटा (रोहगत) ५६१ २ ३७१ विगे.गा.. ८४१-२४०८ १ पल भोग के लिए होने वाली यमं पुटला की रचना विशेष। २ धावगदि जीदों पर दाभाव न रचनातथा निना उपयोग गमनादिक्यिा करना।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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