SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 241
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, अाठवाँ भाग १६३ विषय वोल भाग पृष्ट प्रमाण नित्यानित्यता छाद्रव्यों में४२४ २ ७ मागम । निदान को ४४४ २ ४८ ठा ६उ ३सू ५२६, (जी)उ ६ निदान (नियाणा) नो ६४४ ३ २१५ दशा द १० निदान शल्य १०४ १ ७४ ठा ३उ ३सू १८२,सम ३,ध. __ अधि ३लो २७ पृ.७६ निद्रा ४१४ १४४३ कर्म भा १गा ११-१२,पन्न प २३ निद्रा के पाँच भेद ४१६ १ ४४३ कर्म भा १गा ११-१२,पन्न प.२३ निद्रानिद्रा ४१६ १४४३ कर्म भा १गा ११-१२,पन्न प २३ निद्रा प्रमाद २६१ १ २७५ ठा ६उ ३९ ५ ० २,ध अधि २ श्लो ३६पृ.८१,पचा १गा २३टी. निद्रा से जागने के कारण४२० १ ४४४ ठा ५उ २ सृ ४३६ निधत्तकीव्याख्याऔरभेद२५१ १ २३६ ठा ४उ रसू २६६ १ निधत्ति करण ५६२ ३ ६५ कम्म गा २ निधि के पांच प्रकार ४०७ १ ४३३ ठा ५उ ३सू ४४८ निन्दा पर फया ५७६ ३ २८ श्राव.ह थ ४नि गा १२४२ निमन्त्रणा समाचारी ६६४ ३ २५० भ श २५उ ७सू ८० १,ठा १० सृ ७४६,प्रवद्वा १०१गा ७६० निमित्त ४०४ १ ४३१ उत्त.अ : ६गा २६२,प्रव द्वा ७३ निमित्त कथन ४०५ १ ४३२ उत्त अ ३६गा २६४,प्रव द्वा ७३ निमित्त कारण ३५ १ २३ विशे गा २०६६ निमित्त दोप ८६६ ५ १६४ प्रव द्वा ६७गा ५६७,ध अधि ३ श्लो २२पृ ४०,पि नि गा ४०८, पिनि गा ५८,पचा १३गा.१८ १ जिससे कर्म उद्वर्तना और अपवर्तना करण के सिवाय शेष करणों के अयोग्य हो जाय ऐमा जीव का वीर्य विशेष । १०६
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy