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________________ १८२ श्री सेठिया जैन अन्यमाला विपय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण द्विधा अनन्तक . ४१८ १ ४४२ टा. उ ३म ४६० द्विमासिकी भिक्खुपडिमा ७६५ ४ २८६ मम १२, दशा द ७.म.श २ उगटी १ द्विष्ट दुःसंज्ञाप्य ७५ १ ५४ टा ३३..२०३ द्वीपकुमारों के दमअधिपति७३६ ३ ४१६ भग ३ उ ८ र १६६ द्वेप निःसृत असत्य ७०० ३ ३७२ टा १०१ ७४१,पन प ११ मृ १६५,ध अधिगे ४११५२२ द्वेप प्रत्यया क्रिया २६६ १ २८२ टा २३.११६ ०, टाउ २१ ८१६, थार. १८ द्वेप बन्धन २६ १ १८ ठाउ ४ मा ४.६६ द्वेक्रियनामकपाँचवां निव५६१ २ ३६६ विशे गा २४२४-२ ८५० धनदत्त की पारिणामिकी ११५६ ८३ नम २७गा ७२, म 15, बुद्धि की कथा घायर गा.46 धनपति कुमार की कथा ४१० ६ ५६ वि.स.१६ धनसार्थवाह की कथा ८२१ ४ ४४६ नवपदमा १५ सम्मात्यापित सम्यक्त्व प्राप्ति पर धनुप सजीवांकी तरहक्याह-३ ७ १२८ रा. उ. ग.२०७टी, पानादिकेजीयाकोभी जीवरक्षाकारणक पुण्यवन्धहोता है? धन्ना कुमार की कथा ७७६ ४ २०४ गणु व ३ . 1 धन्नासार्थवाह और विजयह.. ५४३४ प्र.' चोर फी कथा १ नमामाच्या यानाकनि दार होने मदन योगावरन नाममा ne - - - -- - - - - -- - -
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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