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________________ (१२) श्रीमान् पानमलजी के इस समय एक पुत्र श्री कुन्दनमलजी (भवरलालजी) है । कुन्दनमलजी के एक पुत्र रविकुमार ओर एक पुत्री लीला है। श्रीमान् लहरचन्दजी के इस समय एक पुत्र श्री खेमचन्दजी और एक पुत्री चित्ररेखा है। ____ संवत् १६७६ में श्रीमान् उदयचन्दजी का केवल १५ वर्ष की अवस्था में ही स्वर्गवास हो याग । उनके स्वर्गवास के पश्चात् करीब १६ महीनों के बाद उनकी धर्मपत्नी का भी स्वर्गवास होगया श्रीमान् जुगराजजी के इस समय एक पुत्र श्रीचेतनकुमार है। बाबू ज्ञानपालजी अभी अविवाहित है। मोहिनीबाई के इस समय एक पुत्र और दो पुत्रियाँ हैं । श्रीमान् भैरोंदानजी से छोटे भाई श्रीमान् हजारीमलजी थे। उनका स्वर्गवास युवावस्था में ही हो गया। उनकी धर्मपत्नी श्री रत्न कंवरजी को वचपन से ही धर्म के प्रति विशेष रुचि एवं प्रेम था।सवत् १९३६ में केवल छः वर्ष की अवस्था में आपने रतलाम में पूज्यश्री उदयसागरजी महाराज के पास सम्यक्त्व ग्रहण की थी। पतिका स्वर्गवास हो जाने पर धर्म के प्रति आपकी रुचि और भी तीव्र होगई । आपको संसार की असारता का अनुभव हुश्रा और वैराग्य भावना जागृत होगई । संवत् १६६५ में समस्त सांसारिक वैभवों का त्याग कर श्रीमज्जैनाचार्य पूज्यश्री श्रीलालजी महाराज के पास श्रीरंगूजी महाराज की सम्प्रदाय में श्री मैनाजी महाराज की नेत्राय में पूर्ण वैराग्य के साथ दीक्षा अंगीकार की। ३६ साल हुए आप पूर्ण उत्साह के साथ संयम का पालन करती हुई आत्म कल्याण की साधना में अग्रसर हो रही है । भादवा सुदुखवि. संवत्२००१
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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