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________________ श्री जैन सिद्ध न्त बोल संह, श्रावॉ भाग १६७ विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण दीक्षा पर्याय और सूत्र ५१४ २ २४३ ठा ५उ १ सू ३८६, टा ७ सू पढ़ाने की मर्यादा ५५४,व्यवभा उ १० सू.२१-३५ दीक्षार्थी के सोलह गुण ८६४ ५ १५८ ध अधि ३ श्लो ७३-७८ पृ.१ दीक्षालेनेवालेदसचक्रवर्ती६८३ ३ २६२ ठा १० उ ३ सृ ७१८ दीपक संकेत पचक्रवाण ५८६ ३ ४३ प्राव इभ ६ नि गा १५७८,प्रव द्वा ४ गा २०० दीपक समकित ८० १ ५८ दिशे गा २६७५,द्रव्यलो स३ श्लो.६७०,ध अधि २श्लो २२ टीपृ३६,प्रा प्र गा. दीर्घ आयु सुख ७६६ ३ ४५३ या १०उ ३सू ७३७ दीर्घ संस्थान ५५२ २ २६३ ठा १सू ४७,ठा ७७ ३.सू.५४८ दीर्घायु-अशुभ के३ कारण १०६ १ ७४ | भ.श । ३ ६ सू २०४, ठा ३ दीघोयु शुभ के तीन कारण१०७ १ ७५ । उ १ सू १२५ दुःखगर्भित वैराग्य ६० १६५ क.भा २'लो. ११८-११६ दुःख विपाक की दस कथा ४१० ६ २६ वि श्र.१-१० दुःखशय्या के चार कारण२५५ १ २४० टा० ४ उ. सू ३२५ १ दुःशीलता ४०२ १ ४२६ उत्तय ३६गा २६ १,प्रव.द्वा ७३ दुःसंज्ञाप्य तीन ७५ १ ५४ टा उ ४ सू २०३ २ दुइपडिच्छियं ८२४ ५ १५ याव ह य ४ पृ ७३० दगन्धा का उदाहरण ८२१ ४ ४५८ नवपद गा १८टी सम्यक्त्वा. जुगुप्सा दोष के लिये दुर्लभ ग्यारह ७७२४ १७ प्राव ह नि गा८३१पृ.३४१ ८१ ७ ठाउ २ स ७६ धिकार दुर्लभ बोधि १ दुष्ट स्वभाव, कन्दर्पभावना का एक भंद। २ पृष्ठ १४३ पर टिप्पणी देसो
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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