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________________ श्री जन सिद्धान्त बोल समह, आठवाँ भाग १६३ बोल भाग पृष्ठ प्रमाण विषय दस प्रकार के धर्म दसमकार के नारकी, समय७४७ ३ ४२४ टा १०उ ३ सू ७५७ ६६२ ३ ३६१ ठा १० उ ३ सू ७१० के अन्तर आदि की अपेक्षा दस प्रकार के शब्द ७१३ ३ ३८८ टा १०३३ सू ७०५ दस प्रकार के सर्वजीव७२६-२७ ३ ४१४-४१५ टा १० उ ३ सू७७१ दस प्रकार से संसार की ६७६ ३ २६६ समुद्र से उपपा १ दस प्रतिसेवना दस प्रत्याख्यान ६६६ ३ २५२ भ श २५७, १० सू ७३३ ७०४ ३ ३७५ ठा १०३३ सू. ७४८, भ श ७ ३२ सू २८२ ठा १ सू४८ टी., प्रव द्वा. १७० दस प्राण ७२४ ३४१३ ६७३ ३ २६० दस मायश्चित्त भ श २५३ ७, ठा १० सू ७३३ दसबल इन्द्रिय, ज्ञानादि के ६७५ ३२६३ टा १० उ ३ सू ७४० दसवातेंछद्मस्थ के अगोचर७१६ ३ ३८६ टा १० सू७४४, श८उ २ दस वोल पुण्यवान् के ६५६ ३ २२४ उत्त ३ गा १७-१८ दसवोल सम्यक्त्वमाप्ति के६६३ ३ ३६२ उत्तम. २८ गा.१६-२७ दस बोल सातावेदनीय के ७६१ ३४४३ भग ७ उ ६ सू० २८६ दस बोलों का विच्छेद ६८२ ३ २६२ दस ब्रह्मचर्य समाधि स्थान७०१३ ३७२ दृष्टान्त सहित दस भवनपति विशे गा २४६३ उत्त. प्र १६ ७३० ३ ४१६ पत्र प १३८, ठा. १०उ ३सू ७३६, भरा २उ. ७ ११५, जी प्रति ३ उ १ सृ ११५ १५ १३, जी प्रति १ ४ दस भेदरूपी जीव के ७५१ ३४३४ १ पाप या दोषों के सेवन से होने वाली सयम की विराधना ।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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