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________________ श्री जैन सिदान्त बोल संभह, पाठवाँ भाग १६१ विपय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण दस कुलकर आगामी ७६७ ३ ४५० टा.१० उ ३ सू ७६७ उत्सर्पिणी के दसकुलकरगतउत्सर्पिणीके७६६ ३ ४४६ ठा १०उ ३ सू ७६७ * दस गणधर भगवान् ५६५ ३३ ठाउ ३सू६ १७टी ,सम ८टी, पार्श्वनाथ के प्रव द्वा १५गा ३३०,भाव. गा. २६८-२६६,मश द्वा १११ दस गति ७२५ ३ ४१३ ठा १०उ ३ सू ७४५ दस गुण आलोचना देने ६७१ ३ २५६ भ. श २५ उ ७ २ ७६६, योग्य साधु के ठा १० उ.३ सू ७३३ दस गुण आलोचना लेने ६७० ३ २५८ भ श. २५ उ ७ सू. ७६६, योग्य साधु के ठा १०उ ३ सू.७३३ दस चक्रवर्ती ने दीक्षा ली ६८३ ३ २६२ ठा १०उ ३ सू ७१८ दस चित्त समाधि ६७४ ३ २६२ दशा० द०५, सम १० दस जीव परिणाम ७४६ ३ ४२६ पनप १३,ठा १० सु ७१३ दस जम्भक देव ७४२ ३ ४२० भग १४३ ८ सू ५३३ दस दान ७६८ ३ ४५० टा १०उ ३ सू ७४५ दस दिशाएं ७५३ ३ ४३७ ठा १० सू ७२०,भ श १०३ १ स ३६४,याचा म उ.१सू.२ दस दृष्टान्त मनुष्यभव की ६८० ३ २७१ उत्त अ ३नि गा १६०,आव.ह दुर्लभता के नि गा८३२१३४० दसदोष आलोचनाके ६७२ ३ २५६ भ श २ ५उ ७,ठा १०१ ७३३ दस दोप ग्रहणेपणा के ३६३ ३ २४२ प्रब द्वा ६७गा ५६८, पि नि गा ५२०, पचा १६गा २६,ध अधि श्लो.२२ टी पृ ४१ • पृष्ठ ३७ पर टिप्पणी दसो।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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