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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, आठवाँ भाग १४५ विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण झूठ बोलने के आठ कारण५८२ ३ ३७ साधुप्र. महाव्रत २ झूठा कलंक लगाने वाले ४६० २ ६२ वृ (जी) उ. ६ सू २ को प्रायश्चित्त ठाणांग (स्थानांग)सूत्र ७७६ ४ ७६.११४ का संक्षिस विषय वर्णन ढाई द्वीप में चन्द्र सूर्यादि ७८६ ४ ३०२ सूर्य प्रा १६ ज्योतिथी देवों की संख्या णाप, णायपुत्त ७७० ४ ४ जैनविद्या वोल्यूम १ न। १ तज्जात दोष ७२२ ३ ४०६ ठा १० उ.३ सू ७४३ १ तज्जात दोष ७२३ ३ ४११ ठा.१०उ ३ सु ७४३ २ तज्जात संसृष्ट कल्पिक ३५३ १ ३६८ ठा ५ उ १ सृ. ३६६ तत्काल उत्पन्नदेवष्टकारणों१३६ १ १०१ ठा ४ उ ३ सु ३०२ से मनुष्य लोक में आता है १ शास्त्रार्थ के समय प्रतिवादी के जाति,कुल आदि के दोषों को निकाल कर उस पर व्यक्तिगत आक्षेप करना । २ अभिग्रह विशेष, जिसके अनुसारे साधु तभी श्राहार लेता है जब कि दिये जाने वाले भाहार विशेष से दाता के हाय और भाजन खरडे हुए हों।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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