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________________ ३० श्री गठिया जैन PAT rrrrm ammu-~~~~~ विपय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण चौतीम क्षेत्र जंवृद्वीप में १७८ ७ ७१ गम. १८ तीर्थोत्पत्ति चौदह अनिचार ज्ञान के ८२४ । १४ मा.द. 420 चौदह गुणस्थान ८४७ ५ ६३ कर्ममार,.दा. , चौदह जीत्र देवलोक में ४८ ५ ११५ . . . उपन्न होते है चांद द्वार चरमाचरण के ८४३ ५ ४२ 11037 चौदह द्वार पहमापढम के ८४२ ५ ३८ ॥ १८ : १ १ चौदह द्वार मप्रदेशी ८४१५३४ : 14 अमदेशी के चौदह नाम माया के ८३६ ५ ३१ गम चौदह नाम लाभ के ८३७ ५ ३२ गमक चौदह नियम पावर के ८३१ ५ २३ :Truth, चादर पूर्व ८२३ ५ १२ न . १.१.) घौदह प्रकार का उपकरण८३३ ५ २८ चादहमकार का दान ८३२ ५ २६ निगा.... चौदह प्रकार अशुभ नाम-३ ५ ३३ १.० ३.१०... कर्म भांगा जाना है चार प्रकार शुभ नाम-८३८ ५ ३३ . . . कर्म गोगा जाता है चीवर बात माघकालिए ८३४ । २६ . :.:. पपलानीग नाटत भेद यजीद के ८२७ ५ १६ . . . . . .
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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