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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवा भाग विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण कथा चरणाहत की पारि-६१५६ ११२ नं सू.२७गा.७४,यात्र.ह नि. गामिकी बुद्धि पर गा ६५१ कथा चाणक्य की पारि- ६१५ ६ ६४ न सू.२७ गा ७३,प्राव ह नि. णामिकी बुद्धि पर गा... कथा चार पुत्रवधुओं की ६०० ५ ४४२ ज्ञा श्र ७ कथाचिलातीपुत्र की उप-८२१ ४ ४३४ नवपद गा १४ टी सम्यक्त्वादेश से सम्यक्त्व प्राप्ति पर विकार, ना अ.८ कथाचेटक निधान की ६४६६ २७६ न सू. २७ गा. ६५ टी. औत्पत्तिकी बुद्धि पर फथा चौदह रोहक की ६४६ ६ २४३ न सू २७ गा ६४ टी. औत्पत्तिकी बुद्धि पर कथा जिनदत्त ओर ६०० ५ ४३६ ज्ञा अ. ३ सागरदत्त की कथा जिनदास कुमार की 8१० ६ ५४ विप्र १५ कथा जिनपाल जिनरक्षकी १०० ५ ४५३ ज्ञा. म कथा तीन ६७ १६६ ठाउ ३ सृ. काथा तुम्बे की ६०० ५ ४४१ ज्ञा म ६ कथा तेतलीपुत्र की १०० ५ ४६२ ज्ञा अ. १४ कथा तेरह सम्यक्त्व की ८२१ ४ ४२२ नवपट गा १४-१८ कथा दस दुःख विपाक की:१० ६२६सं५३ विय १ मे १० फथा दस सुख विपाक कीह१० ६ ५३से६० वि. म ११ से २० कथा दाबद्रव वृक्ष की ६०० ५ ४५६ ज्ञा. अ. १] कथा दुर्गन्धा की जुगुप्सा ८२१ ४ ४५८ नवपद. गा. टी.सम्यालादोप पर धिकार
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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