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________________ श्री जैन सिद्धान्त वोल संग्रह, अाठवा भाग १५ विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण ऋज्वायता श्रेणी ५४४ २ २८३ ठा. ७ उ. ३ सू ५८१, भ. श. २५ उ ३ सू ७३० ऋतुएं छः ४३२ २ ४० ठा.६उ ३सू ५२३टी, हो. ऋतुप्रमाण संवत्सर ४०० १ ४२६ / ठा ५ उ ३ र ४६०, प्रव. ऋतु संवत्सर ४०० १ ४२७ । द्वा.१४२ गा. ६०१ ऋद्धि के तीन भेद ६६ १ ७० ठा ३ उ ४ स २१४ ऋद्धि गौरव (गारव) ८ १ ७० ठा.३ उ ४ सू. २१५ ऋद्धि प्राप्त याय के छः भेद ४३८ २ ४२ ठा ६ उ १ सृ ४६१, पन्न प१ सू ३७ ऋपभदेवकासंक्षिप्त जीवन८२० ४ ४१६ वि ष पर्व १ ऋपभदेव के अहाणवे पुत्र ८१२ ४ ३८८ सूय थ १ अ.२७ १,विप पर्व १ ( बोधिदुर्लभ भावना) ऋपभदेवभगवान् के १३भव८२० ४ ४०६ त्रि प पर्व १ ऋषभनाराच संहनन ४७० २ ७० पन• १२३ सू २६३, ठा.६ उ ३स.४६४,कर्म,मा.१गा ३८ एक आत्मा १ १२ ठा• १ सू० २ एक गण से दसरे गण में ५१५ २ २४४ ठा ७ उ ३ स १४१ जाने के सात कारण एक जम्बूद्वीप ४ १२ ठासू ५२, तत्त्वार्थ अध्या ३ एकतः अनन्तक ४१८ १ ४४२ टा ५ उ ३ सृ. ४६२ एकतारखा श्रेणी ५४४ २ २८३ ठा ७ .३सू ५८१,म २.२५ उ ३ स ७३० एकता और अनेकता का ४२४ २७ प्रागम विचार छः द्रव्यों में पागम
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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