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________________ श्री जैन-सिद्धान्त बोल संग्रह, छठा भाग से जीवित निकल कर भाग गया है तो उसने चारों तरफ अपने आदमियों को दौड़ाया और आदेश दिया कि जहाँ भी ब्रह्मदत्त और वरधनु मिलें उन्हें पकड़ कर मेरे पास लाओ। __ इन दोनों की खोज करते हुए राजपुरुष उसी वन में पहुंच गये। जब वरधनु पानी लेने के लिये एक सरोवर के पास पहुँचा तो राजपुरुषों ने उसे देख लिया और उसे पकड़ लिया। उसने उसी समय उच्च स्वर से संकेत किया जिससे ब्रह्मदत्त समझ गया और वहाँ से उठ कर एक दम भाग गया। राजपुरुषों ने घरधनु से राजकुमार के बारे में पूछा फिन्तु उसने कुछ नहीं बताया । तब वे उसे मारने.पीटने लगे। वह जमीन पर गिर पड़ा और श्वास रोककर निश्चेष्ट बन गया। यह मर गया है। ऐसा समझ कर राजपुरुष उसे छोड़कर चले गये ।। राजपुरुषों के चले जाने के पश्चात् वह उठा और राजकुमार को ढूढने लगा किन्तु उसका कहीं पता नहीं लगा। तब वह अपने कुटुम्बियों की खबर लेने के लिये कम्पिलपुर की ओर चला। मार्ग में उसे संजीवन और निर्जीवन नाम की दो गुटिकाएं (औषधियाँ) प्राप्त हुई ।आगे चलने पर कम्पिलपुर के पास उसे एक चाण्डाल मिला। उसने वरधनु को सारा वृत्तान्त कहा और वतलाया कि तुम्हारे सब कुटुम्बियों को राजा न कैद कर लिया है। तब परधनु ने कुछ लालच देकर उस चाण्डाल को अपने वश में करके उसे निर्जीवन गुटिका दी और सारी बात समझा दी । चाण्डाल ने जाकर वह गुटिका प्रधान को दी। उसने अपने सब कुटुम्बी जनों की आँखों में उसका अंजन किया जिससे वे तत्काल निर्जीव सरीखे हो गये। उन सबको मरे हुए जानकर दीर्घपृष्ठ राजा ने उन्हें श्मशान में ले जाने के लिये उस चाण्डाल को आज्ञा दी। वरधनु ने जो जगह बताई थी उसी जगह पर वह चाण्डाल
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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