SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला आयु पूरी कर मनुष्य का भव करके ग्यारहवें पारण देवलोक में उत्पन्न होगा। वहाँ से चत्र कर मनुष्य का भव करेगा। वहाँ उत्कृष्ट संयम का पालन कर सर्वार्थसिद्ध में अहमिन्द्र होगा। सर्वार्थसिद्ध रोचव कर सुबाहु कुमार का जीव महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा। वहाँ शुद्ध संयम का पालन कर सभी कर्मों को खपा कर शुद्ध, हुद्ध यावत् मुक्त होगा। (१२) भद्रनन्दी कमार की कथा चूपमपुर नगर के अन्दर धनावह नाम का राजा राज्य करता था। उसके सरस्वती नाम की रानी थी । भद्रनन्दी नामक राजकुमार था। पूर्वभव में वह पुंडरिकिणी नगरी में विजय नाम का राजकुमार था। युगवाहु तीर्थङ्कर को शुद्ध एपणीक याहार बहराया । मनुष्य आयु बॉव कर ऋपमपुर नगर में उत्पन्न हुआ। शेष सत्र कथन सुबाहु कुमार जैसा जानना । यावत् महाविदेह' क्षेत्र में जन्म लेकर मोक्ष जायगा । (१३) सुजात कुमार की कथा - वीरपुत्र नगर में वीरकृष्ण मित्र राजा राज्य करता था ।रानी का, नाम श्रीदेवी और पुत्र का नाम सुजात था, जिसके ५०० स्त्रियाँ थीं । सुजात पूर्वभव में इपुकार नगर में ऋषभदत्त नासक गाथापति था । पुष्पदत्त अनगार को शुद्ध आहार का प्रतिलाभ दिया । मनुष्य आयु बाँध कर यहाँ उत्पन्न हुआ। शेप सारा वर्णन गुबाहु कुमार के समान है । महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होगा। . (१४) सुवासव कुमार की कथा विजय नगर में वासवदत्त नाम का राजा राज्य करता था। रानी का नाम कृष्णा और पुत्र का नाम सुवासव कुमार था। सुवासर्व इमार के भद्रा आदि पाँच सौ रानियाँ थीं । वह कुमार पूर्व
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy