SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ jo श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला वाह रहता था। उसकी स्त्री का नाम भद्रा और पुत्र का नाम शकट था। एक समय श्रमण भगवाद हावीर स्वामी वहाँ पधारे । भिक्षा के लिए गौतम स्वामी नगर में पधारे। राजमार्ग पर उज्झित कुमार .की तरह राजपुत्रों से घिरे हुए एक स्त्री और पुरुष को देखा । गोचरी : से लौट कर गौतम स्वामी ने भगवान् के आगे राजमार्ग का दृश्य निवेदन किया और उसका कारण पूछा । गौतम स्वामी के पूछने पर भगवान् ने फरमाया कि- प्राचीन समय में छगलपुर नामक एक नगर था । उसमें सिंहगिरि नाम का राजा राव करता था । उसी नगर में छनिक नामक एक खटीक (कसाई) रहता था । उसके बहुत से नौकर थे । वह बहुत से बकरे, से, भैंसे आदि को मरवा कर उनके शूज्ञे बनवाता था । तेल में तल कर उन्हें स्वयं भी खाता और बेच कर अपनी आजीविका भी चलाता था । वह महापापी था । पाप कर्मो का उपार्जन कर सात सौ वर्षों का उत्कृष्ट आयुष्य पूर्ण कर चौथी नरक में उत्पन्न हुआ । वहाँ से निकल कर भद्रा की कुक्षि से पुत्र रूप में उत्पन्न हुआ । उसका नाम शकट रखा गया । कुछ समय पश्चात् शकट कुमार के माता पिता की मृत्यु हो गई। शकट कुमार स्वेच्छाचारी हो सुदर्शना गणिका के साथ काम भोग में आसक्त हो गया। एक समय सुसेन प्रधान ने उस वेश्या को अपने अधीन कर लिया और उसे अपने अन्तःपुर में लाकर रख दिया । वेश्या के वियोग से दुखित बना हुआ शकट कुमार इधर उधर भटकता फिरता था । मौका पाकर एक दिन शकर कुमार वेश्या के पास चला गया । वेश्या के साथ काम भोग में प्रवृत शकट कुमार को देख कर सुसेन प्रधान प्रतिकुपित हुआ । अपने सिपाहियों द्वारा शकट कुमार को पकड़वा कर उसे राजा के सामने उपस्थित कर सुसेन प्रधान ने कहा कि इसने मेरे अन्तःपुर में अत्याचार किया है। राजा ने कहा- तुम अपनी इच्छानुसार इसे दण्ड दो ।
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy