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________________ श्री जन सिद्धान्त वाले संग्रह, छठा भाग — उसी नगर में भीम नामक एक कूटग्राही (कुकर्म से द्रव्य उपार्जन करने वाला) रहता था। उसकी स्त्री का नाम उत्पला था। एक समय उत्पला गर्भवती हुई । उसे गाय, बैल आदि के अङ्ग प्रत्यक्ष के मांस खाने का दोहला उत्पन्न हुआ। आधी रात के समय वह भूमि कूटग्राही उस गोशाला में पहुंचा और गायों के स्तन, कन्धे -गलकम्बल आदि का मांस काट कर लाया। उसके शूले बना कर और तल कर मदिरा के साथ अपनी स्त्री को खिला कर उसका दोहला पूर्ण किया। नौ महीने पूर्ण होने पर उत्पला ने एक वाजक को जन्म दिया। जन्मते ही उस बालक ने चिल्ला कर, चीख मार कर ऐमा जोर से रुदन किया जिससे गोशाला के सब पशु भयभ्रान्त होकर भागने लगे। इससे माता पिता ने उसका गोत्रासिया ऐसा गुणनिम्पन्न नाम दिया। गोत्रासिया के जवान होने पर उसके पिता भीम कूटग्राही की मृत्यु हो गई । तत्पश्चात् सुनन्द राजा ने उस गोत्रासिया को अपना दूत बना लिया। अब गोत्रासिया निःशंक होकर उस गोशाला में जाता और बहुत से पशुओं के अङ्गोपाङ्ग छेदन करता और उसके शूले बना कर खाता। इस प्रकार बहुत पाप कर्मों का उपार्जन करता हुआ वह पॉच सौ वर्ष की आयु पूर्ण करके आर्त रौद्र ध्यान ध्याता हुआ मर कर दूसरी नरक में उत्पन्न हुआ वहाँ तीन सागरोपम का आयुष्य पूर्ण करके इसी नगर में विजयमित्र सार्थवाह की भार्या भद्रा की कुक्षि से पुत्रपने उत्पन्न हुआ। भद्रा को अप्रियकारी लगने से उस वालक को उकरड़ी पर फिकवा दिया था किन्तु विजय मित्र के कहने पर उसे वापिस मंगवाया। जन्मते ही उसे उकरड़ी पर फेंक दिया गया था इसलिए उसका नाम 'उमित कुमार' रखा गया। एक समय विजयमित्र जहाज में माल भर कर लवण समुद्र में यात्रा कर रहा था किन्तु जहाज के टूट जाने से वह समुद्र में डूब
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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