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________________ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला उन्हें वन्दना नमस्कार करने गई। मृगाग्राम में एक दूसरा भी जन्मान्ध पुरुष रहताथा । उसके शरीर से दुर्गन्ध आती थी। जिससे उसके चारों तरफ मक्खियाँ भिनभिनाया करती थीं। एक सचक्षु (नेत्रों वाला) पुरुष उसकी लकड़ी पकड़ कर आगे आगे चलता था और वह अन्धा पुरुष दीनवृत्ति से भिक्षा मांग कर अपनी भाजीविका करता था। भगवान का आगमन सुन कर वह अन्धा पुरुष भी वहाँ पहुँचा। भगवान् ने धर्मोपदेश फरमाया । भगवान् को वन्दना नमस्कार कर जनतावापिस चली गई। तब गौतमस्वामी ने भगवान् सं पूछा-भगवन् । इस जन्मान्ध पुरुप जैसा दूसरा और भी कोई जन्मान्ध पुरुष इस मृगाग्राम में है ? भगवान ने फरमाया कि मृगादेवी रानी का पुत्र मृगापुत्र जन्मान्ध है और इससे भी अधिक वेदना को सहन करता हुमा भूमिगृह में पड़ा हुआ है । तब गौतम स्वामी उप्त देखने के लिए मृगादेवी रानी के घर पधारे । __ गौतम स्वामी को पधारते हुए देख कर मृगादेवी अपने आसन से उठी और सात आठ कदम सामने जाकर उसने वन्दना नमस्कार किया । मृगादेवी ने गौतम स्वामी से आने का कारण पूछा । तब गौतम स्वामी ने अपनी इच्छा जाहिर की। तब मृगादेवी ने मृगापुत्र के बाद जन्मे हुए अपने सुन्दर चार पुत्रों को दिखलाया । गौतम स्वामी ने कहा-देवि! मैं तुम्हारे इन पुत्रों को देखने के लिए नहीं आया हूँ किन्तु भूमिगृह में पड़े हुए तुम्हारे जन्मान्ध पुत्र को देखने आया हूँ। भोजन की वेला हो जाने से एक गाड़ी में बहुत सा आहार पानी भर कर मृगादेवी उस भूमिगृह की तरफ चली और गौतम स्वामी से कहा कि आप भी मेरे साथ पधारिये। मैं आपको मृगापुत्र दिखलाती हूँ। भूमिगृह के पास आकर उसने उसके दरवाजे खोले तो ऐसी भयंकर दुर्गन्ध आने लगी जैसे कि मरे हुए सांप के सड़े हुए शरीर से आती है। मृगादेवी ने सुगन्धि युक्त आहार
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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