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________________ २८० wormmmmmmmmmmmmmm श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला करवा दिया। फिर विद्यार्थी और उनके पिताओं से मिल कर वह अपने गाँव को रवाना हुआ। जाते समय ज़रूरी वस्त्रों के सिवाय उस ने अपने साथ कुछ नहीं लिया। जब सेठों ने देखा कि इसके पास कुछ नहीं है तो उन्होंने उसे मारने का विचार छोड़ दिया। कलाचार्य सकुशल अपने घर लौट आया। अपने तन और धन दोनों की रक्षा कर ली, यह कलाचार्य की औत्पत्तिकी बुद्धि थी। (२५) अर्थशास्त्र-एक सेठ के दो स्त्रियाँ थीं । एक पुत्रवती थी और दूसरी बन्ध्या । बन्ध्या स्त्री भी उस पुत्र को बहुत प्यार करती थी । इसलिये बालक यह नहीं जानता था कि मेरी सगी • माँ कौन है ? एक समय सेठ व्यापार के निमित्त भगवान् सुमतिनाथ स्वामी की जन्मभूमि हस्तिनापुर में पहुँचा । संयोगवश वह वहाँ “पहुँचते ही मर गया। तब दोनों स्त्रियों में पुत्र के लिये झगड़ा होने लगा । एक कहती थी कि यह पुत्र मेरा है इसलिये गृहस्वामिनी मैं बनूंगी। दूसरी कहती थी-यह मेरा पुत्र है अतः घर की मालकिन मैं बनूंगी। आखिर इन्साफ कराने के लिये दोनों राजदरबार में पहुँची। महारानी मङ्गना देवी को जब इस झगड़े की बात मालूम हुई तो उन्होंने उन दोनों को अपने पास बुलाया और कहा-कुछ दिनों बाद मेरो कुक्षि से एक प्रतापी पुत्र होने वाला है।वड़ा होने पर इस अशोकवृक्ष के नीचे बैठ कर वह तुम्हारा न्याय करेगा। इसलिये तब तक तुम शान्ति पूर्वक प्रतीक्षा करो। वन्ध्याने सोचा, अच्छा हुआ, इतने समय तक तो आनन्द पूर्वक रहँगी फिर जैसा होगा देखा जायगा । यह सोच कर उसने महारानीजी की बात सहर्ष स्वीकार कर ली । इससे महारानीजी समझ गई कि वास्तव में यह पुत्र की माँ नहीं है । इमलिये उन्होंने दूसरी स्त्री को, जो वास्तव में पुत्र को माता थी, उसका पुत्र दे दिया और गृहखामिनी भी उसी को बना दिया। झूठा विवाद
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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