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________________ १२६ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला फेंक दिया जाय तो यह उपद्रव तत्काल दूर हो सकता है । . नैमित्तिक के वचन पर विश्वास करके लोग उस स्तूप को जोदने लगे। उसी ममय उसने सफेद वस्त्र को ऊँचा करके कोशिक को इशारा किया जिससे वह अपनी सेना को लेकर पीछे हटने लगा | उसे पीछे हटते देखकर लोगों को नैमित्तिक के वचन पर पूरा विश्वास हो गया । उन्होंने स्तूप को उखाड़ कर फेंक दिया।' नगरी प्रभाव रहित हो गई । कूलवालक के संकेत के अनुसार कोणिक ने आकर नगरी पर आक्रमण कर दिया। उसके कोट को गिरा दिया और नगरी को नष्ट भ्रष्ट कर दिया। ला श्रीमुनिसुव्रत स्वामी के स्तूप को उखड़वा देने से नगरी का कोट गिराया जा सकता है ऐसा जानना कुलबालक की पारिणामिकी बुद्धि थी। इसी प्रकार कूल पालक साधु को अपने वश में करने की मागधिका वेश्या की पारिणामिकी बुद्धि थी । .* (निरयावलिका . १ सूत्र (उत्तराध्ययन, १ अध्ययन कूलचालक की कथा गा० ३ टी.).-. : ( नन्दोसूत्र भाषान्तर पूज्यं हस्तीमलजी महाराज एवं श्रमोलख ऋपिजी कृत ) (‘नन्दी सूत्र-२७सटीकगा. ७१-७४ ) (हरिमंद्रीयावश्यक गाथा ६४८ से १५१ ). ε१६–'सभिक्ख' त्र्अध्ययन की २१ गाथाएं + दशवेकालिक, सूत्र के दुसवें अध्ययन का नाम " सभिक्खु ? अध्ययन है । उसमें इक्कीस : गाथाएं हैं, जिनमें साधु का स्वरूप बताया गया है | गाथाओं का भावार्थ नीचे लिखे अनुसार है । ' PM - (E) भगवान् की आज्ञानुसार दीक्षा लेकर जो सदा उनके ~ वचनों में दत्ताचज़ रहता है। स्त्रियों के वंश में नहीं होता तथा छोड़े हुए विपयों का फिर से सेवन नहीं करती वहीं सच्चा साधु है । · (२) जो महात्मा पृथ्वी को न स्वयं खोदता है न दूसरे से खुद 7 वाता है, संचित जलं न स्वयं पीता है न दूसरे को पिलाता हूं,
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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