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________________ nnnnnnnuwun ६७२ भी सेठिया जैन मन्यमाला ~rn mmmmmmmmmmmmmm or om. rrrrror वालक चण्डाल के घर बड़ा होने लगा। उसके शरीर पर प्रायः खुजली चला करती थी । इसलिये वह अपने अंगों को हाथ से खुजलाया करताथा।इसी कारण से लोग उसे करकण्डू कहने लगे। ___ करकण्डू यद्यपि चण्डाल के घर पल रहा था फिर भी उसकी प्रत्येक चेष्टा से स्पष्ट मालूम पड़ता था कि वह भविष्य में राजा बनेगा। खेलते समय वह स्वयं राजा बनता। अपने किसी साथी को सिपाही बनाता और किसी को चोर । फिर उनका न्याय करता । अपराधी को सजा देता । इस प्रकार उसके प्रत्येक कार्य राजा के समान होते थे। बड़ा होने पर उसे श्मशान में रक्षा करने फा कार्य सौंपा गया। एक बार करकण्ड श्मशान में पहरा दे रहा था। उसी समय उपर से दो साधु निफले । आपस में बातचीत करते समय एक साधु के मुँह से निकला___ वॉस की इस झाड़ी में एक सात गॉठ वाली लकड़ी है। वह जिसे प्राप्त होगी उसे राज्य मिलेगा। इस वात को करकण्डू तथा रास्ते चलते हुए एक ब्राह्मण ने सुना। दोनों लकड़ी लेने चले। दोनों ने उसे एक साथ छूया। ब्राह्मण कहने लगा- इस लकड़ी पर मेरा अधिकार है और करफण्डू कहने लगा मेरा । दोनों में झगड़ा खड़ा होगया। कोई अपने अधिकार को छोड़ना नहीं चाहता था।वात बढ़ने परन्यायालय तक पहुँची।ब्राह्मण भौर करफण्डू दोनों दरवार में उपस्थित हुए। दधिवाइन राजा न्याय फरने वाला था। फरफण्डू को देख कर दरबार के सभी लोग चकित रह गए । चण्डाल के पुत्र में इतना तेज और भोज देख कर वे आश्चर्य करने लगे। ___ फरकण्ड ने अपने पक्ष का समर्थन करते हुए कहा-महाराज! मैं श्मशान फा राजा हूँ। जिस प्रकार आपके राज्य में उत्पन्न हुई
SR No.010512
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages529
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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