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________________ (२९) बोल नं० पृष्ठ बोल नं० पृष्ठ पन्द्रह गाथाएं १२७ । गाथाएं ३८० ८२३ पूर्व चौदह १२ / ८८३ भाव श्रावक के सतरह । ८९४ पौषध के अठारह दोष ४१० लक्षण ३९२ ८७५ प्रभावती ३६५ / ८६८ भांगे सोलह श्राश्रव ८४७ प्रमादी साधु गुणस्थान ७६ / आदि के १६८ ८४७ प्रमत्तसंयत गुणस्थान ७६ ८२५ भूतग्राम(जीवों) के भेद १७ ८७६ प्रमाणभूत शास्त्र सतियो के लिये ३७५ ८५५ प्रयोगगति पन्द्रह ८७९ मरण सतरह प्रकार के ३८२ १३८ ९०० मल्लि ज्ञात आठवां अध्ययन ४४४ ८४७ बन्ध गुणस्थानों में ८८ | ९०० मल्लिनाथ भगवान् की ८५६ बन्धन नामकर्म के कथा ४४४ पन्द्रह भेद १४० ८६३ बहुश्रुत साधु की 1८४४ महानदियाँ चौदह ४५ सोलह उपमाएं १५५ ८५४ महानिन्थीय अध्ययन ८८२ बाटेबहती(विहायोगति) की पन्द्रह गाथाएं १३० के सतरह भेद ३८९ / ८७१ महायुग्म सोलह १७२ ८४७ बौद्धदर्शन में प्राध्या- | ८७८ महावीर भगवान् की त्मिक विकास तपश्चर्या विषयक सतरह ८९२ ब्रह्मचर्य के १८ भेद ४१० गाथाएं ३८० ८७५ ब्राह्मी १८५ / ८७४ महावीर की वसति । भ विषयक गाथाएं १८२ ९०० भगवान् मल्लिनाथ की ८३० महास्वप्न चौदह कथा ४४४ मंगलाचरण ८७८ भगवान महावीर की | ९०० माकंद ज्ञात नवाँ अध्ययन ४५३ तपश्चर्या विषयक सतरह का
SR No.010512
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages529
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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