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________________ (२७) पृष्ठ बोलन २० बोल नं० पृष्ठ चौदहवाँ बोल संग्रह ३ ९०० दर्द रज्ञात अध्ययन ८२९ चौदह स्वप्न तेरहवाँ (ज्ञातासूत्र) ४६० ८७७ दशवकालिक अध्ययन ९०० जिनदत्त और सागर नवेंकी सतरह गाथाएं ३७७ दत्त की कथा ४३६ ८६१ दशवकालिक द्वितीय चूलिका ९०० जिनपाल और जिन की सोलह गाथाएं १४७ रक्ष की कथा ४५३ ८५३ दशवैकालिक नवे अध्य८४७ जीव की तीन अवस्थाएं ६३ यन की पन्द्रह गाथाएं१२७ ८२५ जीव के चौदह भेद १७ । ८९८ दशवकालिक प्रथम चूलिका ८४७ जैनदर्शन में प्राध्या की अठारह गाथाए ४२० त्मिक विकास क्रम ६७ ८३२ दान चौदह प्रकार का २६ ९०० दावद्रवज्ञात अध्ययन ९०० ज्ञाताधर्म कथाङ्ग सूत्र ग्यारहवाँ (ज्ञातासूत्र) ४५७ की उन्नीस कथाएं ४२७ । ९०० दावद्रव वृक्ष का दृष्टान्त४५७ ९०० ज्ञाताधर्म कथाङ्ग सूत्र ८९१ दीक्षा के अयोग्य पुरुष के उन्नीस अध्ययन ४२७ अटारह ८२४ ज्ञान के चौदह अतिचार१४ ८९१ दीक्षा के अयोग्य स्त्रियाँ बीस ४०९ ८५७ तिथियाँ पन्द्रह १४२ ८५१ दीक्षा देने वाले गुरु के । ९०० तुम्बकज्ञात अध्ययन ४४१ । पन्द्रह गण १२४ ९०० तेनली पुत्र की कथा ४६२ / ८६४ दीक्षार्थी के सोलह गुण १५८ ९०० तेतलो ज्ञात अध्ययन ९०० दृष्टान्त अश्वों का ४६९ चौदहयाँ (ज्ञातासूत्र) ४६२ ९०० दृष्टान्त कछुए का ४३७ ९०० दृष्टान्त चन्द्रमा का ४५६ ८७५ दमयन्तो ३५२ । ९०० दृष्टान्त दाबद्रव का ४५७
SR No.010512
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages529
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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