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________________ श्री नैन सिद्धान्त बोल संग्रह, चौथा भाग २३६ (१) द्रव्य के अननुयोग तथा अनुयोग के लिए गाय और बछड़े का उदाहरण__यदि कोई ग्वाला लाल गाय के बछड़े को चितकबरी गाय के स्तनों में और चितकवरी गाय के बछड़े को लाल के स्तनों में छोड़ दे तो वह अननुयोग कहा जायगा क्योंकि जिस गाय का जो बछड़ा हो उसे उसी के स्तनों में लगाना चाहिए । अननुयोग करने से दूध रूप इष्ट कार्य की सिद्धि नहीं होती। ___ इसी प्रकार अगर साधु जीव के लक्षण द्वारा अजीव की प्ररूपणा करता है अथवा अजीव के लक्षण द्वारा जीव की प्ररूपणा करता है तो वह अननुयोग है। इस प्रकार प्ररूपणा करने से वस्तु का विपरीत ज्ञान होता है | अर्थ के ज्ञान में विसंवाद अर्थात भ्रम हो जाता है। अर्थ के भ्रम से चारित्र में दोष भाने लगते हैं। चारित्र में दोप पाने से मोक्ष प्राप्ति नहीं होती । मोक्ष प्राप्त न होने पर दीक्षा व्यर्थ हो जाती है। यदिग्वाला बछड़े को ठीक गाय के स्तनों में लगाता है तोद्ध रूप इष्ट कार्य की सिद्धि हो जाती है । इसी प्रकार जो साधु जीव के लक्षण से जीव की तथा अजीव के लक्षण से अजीव की प्ररूपणा करता है उसे मोक्ष रूप प्रयोजन की प्राप्ति होती है। (२) क्षेत्र से अननुयोग और अनुयोग के लिए कुब्जा का उदाहरण प्रतिष्ठान नाम के नगर में शालिवाहन नाम का राजा रहता था। वह प्रतिवर्ष भृगु कच्छ देश के राजा नभोवाहन पर चढाई करके उस के नगर को घेर लेता था। वर्षा का समय आने पर वापिस लौट आता था। एक बार राजा घेरे के बाद वापिस लौटना चाहता था।अपने सभामण्डप में उसने थूकने के वर्तन को छोड़ कर जमीन पर थूक
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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