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________________ २३४ श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला ये सब देव हैं। भगवान महावीर के समवसरण में आकर उन्होंने विविध प्रकार के नाटक करके दिखलाये । उनकी ऐसी उत्कृष्ट ऋद्धि को देख कर गौतम स्वामी ने भगवान से प्रश्न किया कि इनको यह ऋद्धि कैसे प्राप्त हुई ? तब भगवान ने इन के पूर्व भव बतलाये। नसब ने पूर्वभव में दीक्षा ली थी किन्तु ये विराधक होगये, इसी कारण ज्योतिषी देवों में उत्पन्न हुए । वहाँ से चव कर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेंगे और दीक्षा लेकर मोक्ष में जायेंगे। (११) पुप्फचूलिया सूत्र यह सूत्र कालिक है । इसके दस अध्ययन है-- - (१) श्री देवी (२) ही देवी (३) धृति (४) कीति (५) बुद्धि (६) लक्ष्मी देवी (७) इला देवी (5) सुरा देवी (8) रस देवी (१०) गन्ध देवी। इन सभी देवियों ने भगवान महावीर के समवसरण में उपेस्थित होकर विविध प्रकार के नाटक दिखलाये गौतम स्वामी के पूछने पर भगवान् ने इनका पूर्वभव बतलाया । पूर्वभव में सभी ने दीक्षा ली थी। विराधक होकर यहाँ देवीरूप से उत्पन्न हुई । यहाँ से चन कर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेंगी और वहीं से मोक्ष प्राप्त करेंगी। (१२) वाणिहदसा सूत्र यह सूत्र कालिक है। इसके बारह अध्ययन है(१)निषध कुमार (२) अनिय कुमार (३) वहकुमार (४) वहे कुमार (५) प्रगति कुमार (६) मुक्ति कुमार (७) दशरथ कुमार (6) दृढरथ कुमार (६). महाधनुष कुमार (१०) समधनुष कुमार (११). दसधनुष कुमार (१२) शतधनुष कुमार।। द्वारिका नगरी में कृष्ण वासुदेव राज्य करते थे। उसी नगरी में बलदेव राजा रहते थे। उनकी रानी का नाम रेवती था। उनके
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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