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________________ १३८ श्री सेठिया जेन प्रन्थमाला के पूर्वभव तथा माता पिता श्रादि । श्रगामी उत्सर्पिणी के १२ 'चक्रवर्ती, नौ बलदेव, नौ बासुदेव, नौ प्रतिवामुदेव । ऐरावत में आगामी उत्सर्पिणी के २४ तीर्थङ्कर, चक्रवर्ती आदि का वर्णन । (५) श्रीभगवती ( व्याख्या प्रज्ञप्ति) ( शतक संख्या ४१) ग्यारह के अन्दर भगवती सूत्र पाँचवाँ अंग है। इसका खास नाम व्याख्या प्रज्ञप्ति है। इसमें स्वसमय, परसमय, स्वपरसमय जीव, अजीव, जीवाजीव, लोक, अलोक, लोकालोक, भिन्न भिन्न जाति के देव, राजा, राजर्षि आदि का वर्णन है। देव और मनुष्यों द्वारा पूछे गये छत्तीस हजार प्रश्न हैं । श्रमण भगवान् महावीर स्वामी ने उनका विस्तार पूर्वक उत्तर दिया है। इसमें एक तस्कन्ध है । कुछ अधिक सौ अध्ययन हैं । दस हजार उद्दे शक, दस हजार समुद्द ेशक, ३६ हजार प्रश्न और ८४ हजार पद हैं। प्रथम शतक ( १ ) उद्देशक- रामोकार महामन्त्र दस उद्देशों के नाम, नमुत्थुणं ( शक्रस्तव), गौतम स्वामी का वर्णन, चलमान चलित इत्यादि प्रश्न का निर्णय, नारकी जीवों की स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार यादि विषयक प्रश्न | नारकी जीवों द्वारा पूर्वकाल में ग्रहण किये हुए पुद्गलों के परिणमन की चौभङ्गी, नारकी जीवों द्वारा पूर्वकाल में ग्रहण किये हुए पुद्गलों का चय, उपचय, उदीरणा, निर्जरा आदि की चौभङ्गी, नारकी जीवों द्वारा कौन से काल में तैजस कार्मण के पुद्गल ग्रहण किये जाते हैं, नारकी चलित कर्म बाँधते हैं या प्रचलित, गंध, उदय, वेदना आदि विषयक प्रश्न, असुर कुमारों की स्थिति, श्वासोच्छ्वास आदि विषयक प्रश्न, जीव आत्मारम्भी, परारम्भी, तदुभयारम्भी या अनारम्भी है इत्यादि प्रश्न, २४ दंडकों के ऊपर भी उपरोक्त प्रश्न, जीव में जो ज्ञान, दर्शन,
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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